सनवाड़ा व गंगावा के दो युवकों ने की करोड़ों की ठगी, चेक बाउंस हुए तो चढ़े पुलिस के हत्थे
आहोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
उपखंड क्षेत्र के सनवाड़ा व गंगावा के दो युवकों की ओर से जयपुर में फर्जी फर्म खोलकर तीन से चार करोड़ की ठगी करने का मामला सामने आया है। इन युवकों ने तीस से ज्यादा व्यापारियों से माल खरीद कर उन्हें चेक थमाए, लेकिन व्यापारियों से जैसे ही ये चेक बैंक में लगाए वे बाउंस हो गए। वहीं कुछ चेकों के नकली होने की आशंका भी जताई गई है। इतना ही नहीं गंगावा के युवक ने तो अपनी आईडी भी इंटंदरा (रानी) की बना रखी है। फिलहाल, व्यापारियों की रिपोर्ट पर जयपुर पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं दोनों से खरीदे गए माल की बरामदगी का प्रयास किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार गंगावा निवासी राजवीरसिंह देवल पुत्र कैलाशदान व सनवाड़ा निवासी आवड़दान चारण पुत्र शंकरदान ने जयपुर के मानसरोवर इलाके में आरके पेंट्स इलेक्ट्रिक एंड हार्डवेयर नाम से फर्म खोली थी। इस दौरान दोनों ने जयपुर के करीब तीस से ज्यादा व्यापारियों से तीन से चार करोड़ रुपए का माल खरीदा। इसके भुगतान के लिए दोनों ने व्यापारियों को फर्जी चेक थमाए। व्यापारियों ने जब बैंक में क्लीयरेंस के लिए चेक लगाए तो सभी चेक बाउंस हो गए। सूत्रों के अनुसार इनमें से कई चेक तो नकली भी थे।
माल खरीदा और फरार हो गए
दोनों आरोपियों ने माल को खरीदकर रातों-रात ट्रकों में लादकर उसे सुमेरपुर व आहोर के आसपास कुछ जगहों पर गोदामों में छुपा दिया। इसके बाद दोनों फरार हो गए। दोनों इस माल को मामला शांत होने पर अन्य व्यापारियों को बेचने की फिराक में थे। इधर, व्यापारी जब फर्म पर पहुंचे तो फर्म बंद मिली। आसपास के लोगों से बात करने पर उन्हें पूरा मामला समझते देर नहीं लगी। ऐसे में व्यापारियों ने दोनों के खिलाफ मानसरोवर पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा दी। इस बीच, पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए दोनों को धर दबोचा। बहरहाल, कुछ अन्य व्यापारियों से भी ठगी होने के मामले सामने आ सकते हैं।
एक के पिता भुगत चुके कारावास, एक के पिता मेलनर्स
आरोपी आवड़दान के पिता शंकरदान ने कुछ समय पहले जमीन खरीद-फरोख्त के एक मामले में गुजरात की पार्टी को चेक दिया था। जिसमें चेक बाउंस होने पर वे एक-डेढ़ महीने तक जेल में रहकर आ चुके हैं। जबकि राजवीरसिंह के पिता कैलाशदान आहोर के सामुदायिक चिकित्सालय में मेलनर्स के पद पर कार्यरत है। सूत्रों की मानें तो राजवीरसिंह मूल रूप से गंगावा का ही रहने वाला है, लेकिन उसने इंटदरा (रानी) की फर्जी आईडी बना रखी है।