जालोर जिले के इस विद्यालय में तेरह साल पहले हुई थी सात बच्चों की मौत, न्यायालय ने सुनाई दो साल की सजा

जालोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क


जिले के भाद्राजून स्थित सरस्वती विद्या मंदिर विद्यालय में करीब तेरह साल पहले पानी की टंकी ढहने से सात बच्चों की मौत व चार बच्चों के घायल होने के मामले में न्यायिक मजिस्ट्रेट ने शनिवार को महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायाधीश ने छात्रावास संचालक, वार्डन व ठेकेदार को उपेक्षापूर्ण कृत्य का दोषी मानते हुए दो साल के कारावास व 21 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है।

 

 

यह है मामला

प्रकरण के अनुसार कुण्डली (भाद्राजून) निवासी रूपसिंह पुत्र सरदारसिंह पुरोहित ने रिपोर्ट पेशकर बताया था कि उसका 17 वर्षीय पुत्र मोहनसिंह तीन साल से सरस्वती विद्या मंदिर में पढ़ता था और स्कूल के छात्रावास में ही रहता था। स्कूल की ओर से राजा साहब का बाग में छात्रावास संचालित किया जाता है, जहां पानी की बड़ी टंकी जमीन से ऊपर बनी हुई थी। 21 मार्च 2004 की सुबह 9 बजे छात्रावास के बच्चे स्नान कर रहे थे। इस दौरान कमजोर होने से टंकी टूट गई। वहीं घटिया मेटेरियल प्रयोग करने से पत्थर की पट्टियां टूटकर बच्चों पर गिर गई। जिससे ंछात्रावास के बच्चे मोहनसिंह पुत्र रूपसिंह, दिनेश पुत्र बिशनसिंह, अशोक, ओमप्रकाश, नरेंद्र, नरेश, गजेंद्र राव की घटनास्थल पर मौत हो गई। वहीं कमलेश, चम्पालाल, थानाराम व लक्ष्मण घायल हो गए। घायलों को तत्काल आहोर चिकित्सालय में भर्ती करवाया गया। पुलिस ने रिपोर्ट पर मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया। दौराने अनुसंधान पुलिस ने उपेक्षापूर्ण कृत्य के चलते सात बच्चों की जान जाने व चार बच्चों के घायल होने के मामले को गंभीरता से लेते हुए छात्रावास संचालक भागीरथ पुत्र सुरजाराम जाट चौधरी निवासी मांडोत हाल भाद्राजून, छात्रावास वार्डन गिरधारी पुत्र मोटाराम जाट चौधरी निवासी जाजस जिला सीकर एवं टंकी निमार्ण करने वाले ठेकेदार मोडाराम पुत्र नेमाराम मेघवाल निवासी भाद्राजनू की ढाणी को आरोपी बनाने हुए आरोप पत्र न्यायालय में पेश किया। दोनों पक्षों के बयान सुनने एवं पत्रावली का अवलोकन करने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट नवीन रतनू ने तीनों आरोपियेां को धारा 304 ए आईपीसी में 2-2 साल के कारावास व 7-7 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई। वहीं धारा 337 आईपीसी में प्रत्येक को छह माह के कारावास व 500-500 रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई।

 

यह भी कहा न्यायाधीश ने

न्यायिक मजिस्ट्रेट नवीन रतनू ने फैसला सुनाते हुए बताया कि राजा साहब का बाग स्थित संचालित छात्रावास में पढ़ रहे बच्चों की अकाल मौत से उनके घर का चिराग बुझ गया। बिना मापदंड व बिना तकनीकी आधार के घटिया मेटेरियल का उपयोग करने से यह हादसा हुआ। इसके लिए छात्रावास संचालक, वार्डन व ठेकेदार उपेक्षापूर्ण कृत्य के दोषी है। अपने बच्चों के भविष्य का सपना संजोकर जिस आशा के साथ माता-पिता ने स्कूल में प्रवेश दिलवाया था। उन्हीं पिताओं ने अपने लाल को कंधा देकर विदा किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बताया कि अदालत इस घटना की याद उनके परिजनों को नहीं दिला रही है, बल्कि न्याय करने की यह मंशा रही है कि गंभीर अपराध के मामले में दोषी को उचित दंड से दंडित करना न्यायोचित है। जिससे लोगों में न्याय के प्रति विश्वास कायम रहे।

 

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