उप सभापति के लिए नगर परिषद लगा रही राजकोष को चूना, जानिए आप भी…
जालोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
जालोर नगर परिषद भ्रष्टाचार और गड़बडिय़ों का गढ़ बनती जा रही है। नया बोर्ड बनने के बाद जहां शहर के विकास को ग्रहण लग चुका है। वहीं सभापति के एसीबी में रंगे हाथों ट्रेप होने एवं अवैध पट्टे जारी होने के मामलों ने जयपुर तक बोर्ड की छवि दागदार बना दी है। अब कायदों के खिलाफ नगर परिषद के राजकोष को चूना लगाने का मामला सामने आया है। जी हां, यह खुलासा सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में हुआ है, जिसमें बताया गया कि उप सभापति व नेता प्रतिपक्ष को कार्यालय आवंटन करने के लिए राजस्थान नगरपालिका अधिनियम में कोई प्रावधान नहीं है, बल्कि यह गत बोर्ड की ओर से की गई व्यवस्था को निरंतर बनाए रखने के लिए आवंटन किया गया है। इतना ही नहीं इनके लिए कर्मचारी व एयर कंडीशनर की व्यवस्था भी नगर पालिका की ओर से की गई है।
दरअसल, शहर के नागरिक हीराचंद भंडारी की ओर से नगर परिषद में सूचना का अधिकार के तहत आवेदन किया गया था। जिसमें उप सभापति के अधिकारों की जानकारी मांगी थी। साथ ही उन्हें कार्यालय आवंटन करने के सम्बंध नगर पालिका अधिनियम की जानकारी भी चाही थी। इस सम्बंध में नगर परिषद की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी में बताया गया है कि नगर परिषद में उप सभापति को अलग से कक्ष आवंटन करने का कोई प्रावधान ही नहीं है।
गत बोर्ड की गलती, वर्तमान बोर्ड ने दी शह
सूचना का अधिकार के तहत नगर परिषद की ओर से मुहैया कराई गई जानकारी के अनुसार गत बोर्ड वर्ष २००४ में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष ने मौखिक आदेश जारी कर एक कक्ष उप सभापति एवं एक कक्ष नेता प्रतिपक्ष को आवंटन करने के लिए कहा था। उसी की निरंतरता में इस बोर्ड में भी उप सभापति व नेता प्रतिपक्ष को एक-एक कमरा उपलब्ध कराया गया है।
सरकारी कोष से एसी और कर्मचारी
इतना ही नहीं उप सभापति के कक्ष में एयर कंडीनशर लगाया गया है, जिसका भुगतान परिषद के सामान्य कोष से किया गया है। हैरत की बात यह है कि इसके लिए अलग से बिजली मीटर की व्यवस्था भी नहीं है। इस कमरे में उपभोग की गई बिजली का बिल भुगतान भी नगर परिषद के कॉमन बिल के साथ किया जाता है। यानी बिजली बिल की राशि भी सामान्य कोष से वहन की जा रही है। इसके अलावा उप सभापति के आगे प्रशासनिक व्यवस्था के लिए सहायक कर्मचारी लगाया गया है। जबकि इससे पूर्व इस तरह की नगर परिषद में कोई व्यवस्था नहीं थी।
उप सभापति को नहीं है टिप्पणी का अधिकार
नगर परिषद की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार आयुक्त व सभापति के नाम प्रस्तुत होने वाले प्रार्थना पत्रों व आवेदनों पर प्रासांगिक व्यवस्था के तौर पर आयुक्त, सभापति व कार्यालय सहायक की ओर से ही मार्किंग अथवा टिप्पणी की जा सकती है। आवेदन को उप सभापति, नेता प्रतिपक्ष या पार्षदों की ओर से केवल अपनी सिफारिश अंकित कर आयुक्त या सभापति को पेश किया जा सकता है। उनके द्वारा आदेश व निर्देश दिया जाना नियमों के अंतर्गत नहीं है।
संसाधनों का दुरुपयोग
नगर परिषद में भ्रष्टाचार व मनमानी व्याप्त है। उप सभापति की ओर से कई बार आदेश जारी किए जाते हैं, जबकि उनको अधिकार ही नहीं है। इतना ही नहीं पूरे प्रदेश में कहीं भी उप सभापति को कमरा आवंटित नहीं है। जबकि जालोर नगर परिषद में उप सभापति को अलग से कमरा आवंटित करने के साथ ही परिषद के कोष से एयर कंडीशनर लगाकर बिल भी भरा जा रहा है। उनके लिए अलग से कर्मचारी की व्यवस्था भी है। इससे परिषद के संसाधनों का दुरुपयोग हो रहा है।
– हीराचंद भंडारी, आरटीआई एक्टिविस्ट, जालोर