70 लाख की फिरौती कांड का मास्टर माइंड गिरफ्तार, योजना ऐसी की हर कोई रह जाए दंग
जालोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
जालोर पुलिस को सांचौर में व्यापारी के अपहरण व 70 लाख की फिरौती लेने के मामले में एक ओर सफलता हासिल हुई है। सांचौर पुलिस ने इस प्रकरण के मुख्य सूत्रधार प्रकाश गोदारा पुत्र ठाकराराम जाति विश्नोई निवासी सादुल की ढाणी चितलवाना को गिरफ्तार किया है। आरोपी प्रकाश गोदरा पुलिस थाना चितलवाना का हिस्ट्रीशीट व तस्कर है। जिसके विरुद्ध जालोर, जोधपुर, बाड़मेर, पाली, चुरू, नागौर, उदयपुर जिले के अलावा गुजरात व महाराष्ट्र के कई थानों में मुकदमे दर्ज हैं तथा कई मामलों में वांछित है।
पुलिस अधीक्षक कल्याणमल मीना ने बताया कि गत दिनों सांचौर पुलिस थाना क्षेत्र में व्यापारी मोहनलाल प्रजापत निवासी कोजा का अपहरण कर बदमाशों ने हवाला के जरिए 70 लाख रुपए की फिरौती वूसली थी। इस मामले में पूर्व में छह आरोपितों को गिरफ्तार किया गया था। जबकि वारदात का सूत्रधार प्रकाश गोदारा पुत्र ठाकराराम जाति विश्नोई निवासी सादुल की ढाणी (चितलवाना) के अलावा उसके साथियों तथा घटना में प्रयुक्त वाहनों व मोबाइल नम्बरों की पुलिस तलाश कर रही थी। जोधपुर रेंज की पुलिस टीम एवं जालेार जिला पुलिस टीम ने संयुक्त रूप से दबिश देकर आरोपी प्रकाश को अपने साथी बुधराम पुत्र हरूराम विश्नोई निवासी चितलवाना एवं मुकेश पुत्र हंसराज सुथार निवासी टिब्बी जिला हनुमानगढ़ को प्रकाश के परिजनों के घर से रवाना होते समय दस्तयाब किया। आरोपितों से पूछताछ में पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। पुलिस ने प्रकाश गोदारा के कब्जे से फिरौती के 4 लाख 97 हजार रुपए नकद बरामद किए है।
फिरौती की रकम से शराब तस्करी, मकान बनाया
आरोपित प्रकाश से पूछताछ के साथ ही पुलिस की ओर से कम्प्यूटर तकनीक से मोबाइल नम्बरों को ट्रेस किया गया। जिसमें कई नई बातें उभर कर सामने आई हैं। पुलिस के अनुसार कमलेश पुत्र गोरखाराम जाट निवासी दुधु, दिनेश पुत्र गंगाविशन विश्नोई निवासी कोजा, श्रवण पुत्र हरीराम जाति विश्नोई निवासी कोजा, धोलाराम पुत्र किशनाराम विश्नोई निवासी कोजा, दुर्जनसिंह पुत्र श्यामसिंह राजपुत निवासी खबडाला जिला बाड़मेर ने घटना को अंजाम दिया था। वहीं सुनका उर्फ सुनील पुत्र हरिराम विश्नोई निवासी वाड़ा भाड़वी, सांवलाराम देवासी निवासी बड़सम व कमलेश पुत्र मोहनलाल विश्नोई निवासी गोमी हाल सांचौर में इस प्रकरण में शामिल थे। आरोपितों ने फिरौती की रकम का शराब तस्करी में इस्तेमाल किया था। आरोपितों ने इस रकम से पंजाब-हरियाणा से शराब के ट्रक भरवाकर गुजरात भिजवाए थे। जिनमें से चार ट्रक पचपदरा, सिणधरी, ओसियां व बालेसर पुलिस की ओर से पकड़ लिए गए थे। वहीं इन्होंने इस रकम से स्कॉर्पियो गाड़ी खरीदी थी। जिसे जब्त कर लिया गया। इसके अलावा प्रकाश से इस रकम में से दस लाख रुपए से सांचौर में अपने भाई बांकाराम के साथ मिलकर मकान का निर्माण करवाया था।
नुकसान की भरपाई के लिए बनाई अपहरण की योजना
आरोपित प्रकाश गोदारा ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि मार्च 2016 में दिनेश बोला पुत्र गंगाविशन बोला निवासी कोजा के घर किसी काम से गया था। इसके बाद दिनेश से लगातार सम्पर्क के कारण वह उसका अच्छा मित्र बन गया। चूंकि प्रकाश उसकी शराब की गाडिय़ां पकड़े जाने के कारण कोई बड़ा हाथ मारना चाहता था। इस दौरान प्रकाश को पता चला कि कोजा गांव का मोहनलाल प्रजापत मुम्बई में व्यापार करता है और काफी मालदार पार्टी है। इस दौरान प्रकाश ने दिनेश को साथ लेकर मोहनलाल के अपहरण की योजना बनाई।
15 फर्जी सिमों का जुगाड़ किया
योजना के तहत प्रकाश ने दिनेश को बताया था कि मोहनलाल को अपहरण के बाद बाड़मेर-जैसलमेर इलाके में ले जाना है। इसके लिए वह एक व्यक्ति को भेजेगा जो उस इलाके का जानकार हो। योजना को अंजाम देने के लिए प्रकाश ने मालवाड़ा निवासी दिनेश विडार से सम्पर्क किया और १५ सिम का इंतजाम करने के लिए कहा। इसके बाद एक सिमकार्ड व नया मोबाइल दिनेश बोला को दिया।
पुलिस को गुमराह करने के लिए बनाई रणनीति
योजना के तहत इस मोबाइल का प्रयोग मोहनलाल के अपहरण के बाद ही करना था। साथ ही दिनेश को प्रकाश की ओर से भेजे गए व्यक्ति के कहे अनुसार आगे का काम करने के लिए कहा गया। प्रकाश ने दुर्जनसिंह पुत्र श्यामसिंह राजपूत निवासी खबडाला को पूरी योजना बताकर उसे दिनेश के पास भेजा। इसके बाद २ मई की रात प्रकाश सांचौर, बाड़मेर, पोकरण, बीकानेर होता हुए हरियाणा निकल गया। ताकि वारदात के समय उसकी लोकेशन यहां की नहीं बताए। रवाना होने से पहले चार-पांच सिम अपने मुनिम सांवलाराम रेबारी को दे दी।
एक तरफ अपहरण, दूसरी तरफ पुलिस पर नजर
3 मई 2016 को मोहनलाल प्रजापत अपने साथियों के साथ फोच्र्यूनर गाड़ी से रवाना हुआ। इस दौरान दिनेश बोला, श्रवण कुमार, कमलेश जाट व धोलाराम ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया। इस दौरान सांचौर में मुनिम सांवलाराम रेबारी, दुर्जनसिंह, सुनका उर्फ सुनील व कमलेश गोदारा पहले से ही इनकी मदद करने के लिए तैयार खड़े थे। जबकि प्रकाश का चचेरा भाई बुधाराम व उसका दोस्त मुकेश सुथार पुलिस थाने के सामने रुककर पुलिस की गतिविधियों की निगरानी करते रहे।
दो दिन तक घूमते रहे बाड़मेर-जैसलमेर में
दिनेश बोला ने अपनी स्कोर्पियो गाड़ी को मोहन प्रजापत की गाड़ी के आगे लगाकर उसकी गाड़ी को रोक दिया। इसके बाद मोहनलाल प्रजापत को उसी की गाड़ी में अपहरण कर ले गए। इसके बाद पांचों ने प्रकाश से वाट्सअप कॉल के जरिए सम्पर्क कर उसके बताए अनुसार गाड़ी को बाड़मेर-जैसलमेर की तरफ ले गए। इस दौरान इन लोगों ने गाड़ी में मोहन को डराने-धमकाने के साथ ही एक करोड़ रुपए की डिमांड की। इस दौरान आरोपित मोहनलाल को गाड़ी में लेकर बाड़मेर-जैसलमेर इलाके में घूमते रहे। इसके बाद ४ मई को मोहनलाल ५० लाख रुपए देने को तैयार हो गया। जिस पर मोहनलाल को पालनपुर में हवाला के जरिए रुपए भिजवाने के लिए कहा। पालनपुर में पटेल जयंती सोमाभाई के पास कमलेश पहुंचा। जहां उसने अपना नाम जीतू भाई बताया और रकम देने के लिए कहा। लेकिन आंगडिये ने आईडी प्रुफ नहीं होने के कारण रुपए देने के लिए मना कर दिया। जिस पर दिल्ली में ५० लाख की रकम हवाला के जरिए भेजने को कहा। इसके बाद प्रकाश अपने सहयोगी मंजीतसिंह निवासी लुधियाना के साथ दिल्ली के चांदनी चौक में पहुंचा और बताए गए मोबाइल नम्बर पर बात करवाकर ४९ लाख ८५ हजार रुपए ले लिए। यह रकम लेकर प्रकाश फिर से हरियाणा पहुंच गया।
ऐसे मिल गई बीस लाख की दूसरी फिरौती
इसके बाद दिनेश बोला व अन्य मोहनलाल को वापस सांचौर छोडऩे जा रहे थे। लेकिन इसी दौरान मोहन प्रजापत के मोबाइल पर किसी व्यक्ति का फोन आया। जिसने २० लाख रुपए का इंतजाम होने की बात कही। दिनेश ने यह जानकारी प्रकाश को दी। रात होने के कारण प्रकाश ने अपने मित्र गजेंद्र सोनी व दिनेश विडार को फोन करके मुम्बई में फिरौती की राशि के २० लाख रुपए लेने के लिए कहा। जैसे ही दोनों को मुम्बई में २० लाख रुपए मिले। जिसमें से गजेंद्र सोनी, दिनेश विडार व उनका साथ देने वाले सुनील उर्फ सांवलाराम विश्नोई निवासी बी ढाणी सांचौर, भजनलाल विश्नोई निवासी आमली व सोहनलाल विश्नोई निवासी भादरणा ने कमीशन के पांच लाख लिए, जबकि शेष रहे पंद्रह लाख का सांचौर में हवाला करवाया। इसके बाद आरोपितों ने व्यापारी मोहनलाल को सांचौर के पास छोड़ दिया। जबकि दिल्ली की हवाला राशि में से १६ लाख रुपए प्रकाश ने उसका सहयोग करने वाले मंजीतसिंह को दिए। इसके बाद प्रकाश हरियाणा, पंजाब, दिल्ली के आसपास ही रहा। इस दौरान वह अपने भाई जगदीश की गाड़ी में घूमता रहा। कई बार वह सांचौर भी आया। लेकिन ७ जनवरी को सुबह पुलिस ने घर से रवाना होते समय पकड़ लिया।