सांसद के नेतृत्व में निकली तिरंगा रैली में हुआ था राष्ट्रीय ध्वज का अपमान, राज्य सरकार को हाईकोर्ट का नोटिस

सिरोही @ अर्थ न्यूज नेटवर्क


राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी.के. लोहरा ने राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के अपमान के मामले में सिरोही पुलिस की ओर से मुकदमा दर्ज नहीं करने पर राज्य सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। लोहरा ने कालंद्री निवासी पूरण कंवर की आपराधिक रिट याचिका पर यह नोटिस जारी किया है। नोटिस राज्य के मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक, सिरोही पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह चौहान एवं सिरोही थानाधिकारी हंसाराम सिरवी को नोटिस जारी किए हैं। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेश बोड़ा एवं निशांत बोड़ा ने पैरवी की।

यह था मामला
भारतीय जनता पार्टी की ओर से 26 अगस्त को निकाली गई तिरंगा रैली में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किया गया था। रैली सांसद देवजी पटेल, राज्यमंत्री ओटाराम देवासी जिला प्रमुख पायल परसरामपुरिया, सभापति ताराराम माली एवं अन्य के संयोजन में निकाली गई। इस सम्बंध में पेश की गई याचिका में बताया गया कि सिरोही पुलिस थाने में 26 अगस्त को याचिका कर्ता की ओर से एफआईआर दी गई। जिस पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज नहीं किया। इस रैली में आरोपितों ने राष्ट्रध्वज का अनेक बार एवं अनेक जगह रैली के दौरान अपमान किया। इसके फोटो, वीडियो, प्रेस कटिंग सभी पुलिस को उपलब्ध करवाए गए, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। याचिका में कहा गया कि यह अपराध भारतीय दण्ड संहिता की धारा 141, 143, 149 का भी अपराध है। क्योंकि पांच से अधिक लोगों ने मिलकर यह कृत्य किया है। इसी तरह prevention of insult to national honour PCT 1971  की धारा एवं फ्लेग कोड ऑफ इंडिया के अंतर्गत भी अपराध है, लेकिन दो महीने गुजरने के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
इस एक्ट में दायर की याचिका
याचिका भारतीय संविधान की धारा के अनुच्छेद 226सर्वोच्च न्यायायल के आदेश की अवमानना एवं The emblems and names (prevention of improper or use) act 1950 ‘प्रतीक और नाम (अनुसूचित या उपयोग की रोकथाम) एक्ट 1950′ और prevention of insult to national honour PCT 1971  (राष्ट्रीय सम्मान अधिनियम 1971 के लिए अपमान की रोकथाम) एवं 2002 के फ्लेग कोड ऑफ इंडिया’ के अंतर्गत दायर की गई।

 

एसपी और थानाधिकारी रहे लापरवाह
भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय ध्वज के मामले में 11 मार्च 2016 को सभी राज्य के मुख्य सचिवों को आदेश जारी कर इस सम्बंध में सख्त पालना के निर्देश दिए गए थे। इसकी प्रति याचिकाकर्ता की ओर से पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह चौहान को व्यक्तिगत उपस्थित होकर उपलब्ध कराई गई। लेकिन उस पर उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया। आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 154(1) में थानाधिकारी की जिम्मेदारी बनती है कि वह संगेय अपराध के मामले में मुकदमा दर्ज करें, लेकिन सिरोही पुलिस ने इसकी अवहेलना की। पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं करके सर्वोच्च न्यायालय की भी अवहेलना की है।

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