सत्ता का मुगालता पाल बैठे विधायक अमृता के पति बाबूलाल, बन गए प्रॉक्सी विधायक

जालोर @ अर्थ न्यूज


कहते हैं सत्ता और पॉवर व्यक्ति को भ्रष्ट या अहंकारी बना देते हैं। यह बात इन दिनों जालोर विधायक अमृता मेघवाल के पति बाबूलाल मेघवाल पर सटिक बैठ रही है। मोदी लहर में सत्ता पर काबिज हुई अमृता मेघवाल के पति अपने अहंकार में इतने चूर हो गए कि वे खुद को ही विधायक समझने का मुगालता पाल बैठे। विधायक खुद आठ महीने से जालोर से नदारद है और इधर प्रॉक्सी विधायक बन बैठे उनके पति बाबूलाल प्रशासन से लेकर राजनीतिक गलियारों तक में अपनी धाक जमाने की कोशिश करने लग गए। हाल यह है कि वीआईपी ट्रीटमेंट की चाह में इन्होंने जनसेवा को ही भूला दिया।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव से पहले अपनी पत्नी अमृता के टिकट के लिए बाबूलाल मेघवाल राजनीतिक सुरमाओं की जी हुजूर करने से नहीं थकते थे। वहीं कचहरी परिसर के सामने चाय की थड़ी पर बैठकर हर व्यक्ति से सहयोग के लिए हाथ जोड़कर चापलूसी करने से भी बाज नहीं आते थे। राजनीतिक समीकरण ऐसे बने कि जालोर से पूर्व विधायक जोगेश्वर गर्ग और पूर्व विधायक गणेशीराम मेघवाल के परिवार की जगह अमृता मेघवाल की झोली में टिकट आ टपका। संगठन के कार्यकर्ताओं की बगावत के बावजूद मोदी लहर और राजयोग की कुंडली उन्हें विधायक पद पर काबिज करवा गई। शुरुआत में खुद को राजनीति की मुख्यधारा से दूर रखने वाले विधायक के पति बाबूलाल को धीरे-धीरे राजनीति का संक्रमण होने लगा। अब हाल यह है कि खुद ही विधायक की पूरी राजनीति अपने हाथ में ले बैठे।
पतली गली से दाखिल हुए, अब जाजम जमा ली
बाबूलाल मेघवाल की पर्दे की पीछे की राजनीतिक तो पत्नी के विधायक बनते ही शुरू हो गई। लेकिन असल खेल शुरू हुआ गत जून माह में जिले के दौरे पर आए छह मंत्रियों के प्रवास के दौरान। महिला सशक्तीकरण का दावा करने वाली भाजपा सरकार ने अपनी सरकार आते ही पंचायतराज विभाग में जिला स्तरीय संस्थाओं तक आदेश भेजकर महिला जनप्रतिनिधि के पति या परिजनों की दखलअंदाजी पर अंकुश लगाने के निर्देश दे दिए। लेकिन इस पर पूर्ण रूप से अमल नहीं हो पाया। इधर, मंत्रियों की ओर से संगठन के जनप्रतिनिधियों व पदाधिकारियों की बैठक में पति प्रथा को निभाने के लिए अकेले बाबूलाल मेघवाल को एंट्री दी गई। इतना ही नहीं विधायक पति के इशारे पर नगर परिषद उप सभापति मंजू सोलंकी व आहोर प्रधान पति राजवीरसिंह देवड़ा को भी बैठक से बाहर का रास्ता दिखाया गया। बाबूलाल मेघवाल को शह देने वाले राजनीतिक आकाओं ने इनकी तरफदारी करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। हैरत तो तब है कि जब संगठन के कई वरिष्ठ पदाधिकारियों को बैठक में आने तक नहीं दिया गया, लेकिन पति प्रथा को निभा रहे बाबूलाल पूरे समय तक इन बैठकों में जमे रहे। इसके बाद बाबूलाल मेघवाल ने खुलकर प्रॉक्सी विधायक का खेल खेलना शुरू कर दिया।
पुलिस थाने से लेकर तबादलों तक दखल
विधायक पति का मुगालता देखकर अब लोगों में भी कानाफूसी शुरू हो गई है। अगर किसी को पुलिस थाने में कोई सिफारिश करवानी हो तो उसे विधायक के बजाय सीधे उनके पति से सम्पर्क साधना पड़ता है। किसी का तबादले का मामला हो तो भी उनके पति का ही दखल रहता है। बाबूलाल ना केवल सरकारी विभागों में फोन करके विधायक शैली में अधिकारियों को निर्देश देते हैं, बल्कि अपने विरोधियों को ठिकाने लगाने की चिर परिचित धमकी देने से भी नहीं चूकते। गत दिनों सोशल मीडिया पर चल रहे अगले विधायक के सर्वे में भी इन्होंने अपने खास लोगों से ना केवल अपना नाम इस सूची में डलवाया, बल्कि इनके सम्पर्क में रहने वाले तमाम लोगों को मैसेज भेजकर इस सर्वे में भागीदारी निभाने की अपील भी की। इधर, विधायक के गत आठ महीने से जालोर विधानसभा क्षेत्र से नदारद रहने पर इन दिनों सोशल मीडिया में जमकर तंज कसे जा रहे हैं। इनमें वे लोग भी शामिल है जिन्होंने चुनाव के समय अमृता मेघवाल को खूब सहयोग किया। विधायक बनने तक ठेकेदार शंकर भादरू के गाड़ी-घोड़े पर ऐश करने के बाद जब उन्हें भादरू के राजनीतिक रंग दिखने शुरू हुए तो पल भर में उन्हें मक्खी की तरह उठा फेंका। हकीकत तो यह है कि बाबूलाल अगले चुनाव में खुद विधायक बनना चाह रहे हैं और इसके लिए वे जोगेश्वर गर्ग व गणेशीराम परिवार को संगठन में कमजोर करने की हर कोशिश करने के साथ ही नया नेता ही पैदा नहीं होने देना चाहते।
अब बेनामी सम्पत्ति बनाने की होड़
जालोर से विधायक रहे गणेशराम मेघवाल की सादगी का हर कोई कायल रहा है। वहीं पूर्व मंत्री जोगेश्वर गर्ग भी सादगीपूर्ण जीवनशैली में रहे। लेकिन विधायक के बनने के बाद ही बाबूलाल मेघवाल की जिंदगी जरूर बदल गई। ब्रांडेड पहनावे और गाड़ी-घोड़ों के साथ ही इन्होंने बेनामी सम्पत्ति अर्जित करना शुरू कर दिया। अपने परिजनों के नाम से वाहन व जमीनें खरीदने के साथ ही अपने गांव नोरवा में आलीशान घर भी बना लिया। इतना ही नहीं विदेश यात्राएं तक कर डाली। खुद को पाक साफ बताने के लिए अपने नाम की बजाय अन्य के नाम से सम्पत्ति अर्जित करने का खेल लम्बे समय से चल रहा है। इनमें से कई दस्तावेज भी जुटाए गए हैं जिनमें पति प्रथा निभा रहे बाबूलाल की शह रही है।
भाने लगा वीआईपी ट्रीटमेंट
विधायक की नदारदगी के बाद प्रॉक्सी विधायक बनने का सुख भोग रहे बाबूलाल को अब वीआईपी ट्रीटमेंट का भी शौक लग चुका है। यही वजह है कि विधानसभा क्षेत्र खासकर सायला में होने वाले तमाम कार्यक्रमों में वे खुद को मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल करवाते हैं। हालांकि वे खुद संगठन में महज कार्यकर्ता ही है। जबकि कार्यक्रमों में प्रधान व संगठन के वरिष्ठ पदाधिकारियों की मौजूदगी के बावजूद मुख्य अतिथि बनने का चस्का छोड़ नहीं पा रहे हैं। वहीं सांसद व कलेक्टर की मौजूदगी में भी वे बखूबी पति प्रथा निभा रहे हैं।

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