बैंकों में ना कैश आया, ना हालात सुधरे
माणकमल भण्डारी @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
भीनमाल. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से पांच सौ एवं एक हजार रुपए के पुराने नोट बंद करने के डेढ़ महीने बाद भी ग्राहकों की परेशानी अभी तक थमने का नाम नहीं ले रही है। ग्राहकों को न बैंक में पर्याप्त भुगतान मिल रहा है और ना ही एटीएम में। जहां देखो वहां रुपए लेने वालों की कतार ही देखी जा रही है।
आमजन की बाजार में उधारी बढ़ती जा रही है। यहां तक कि चेस्ट बैंक शाखाओं में नोटबंदी के बाद अभी तक दो-तीन बार ही भारतीय रिजर्व बैंक से कैश आ पाया है। अब तो एक पखवाड़े से आरबीआई कैश नहीं आ रहा है। बैंकों में आने वाले ग्राहकों को भी प्रति सप्ताह में 24 व 50 हजार रुपए की बजाय अभी भी कहीं पर पांच तो कहीं पर दस हजार रुपए से अधिक कैश नहीं मिल रहा है। इससे लोगों के जरूरी काम भी अटक रहे हैं। यहां तक कि अब लोगों की बाजार उधारी भी बढ़ती जा रही है। ग्रामीण बैंकों की स्थिति तो और भी खराब है। वहां पर किसी बैंक शाखा में ग्राहकों को पांच सौ तो किसी में सौ रुपए ही दिए जा रहे हैं। जिला मुख्यालय स्थित एसबीबीजे चेस्ट बैंक शाखा चीफ प्रबंधक ने बताया कि एक पखवाड़े से चेस्ट में आरबीआई से चेस्ट नहीं आ पाया है। बैंक ऑफ बड़ौदा चेस्ट शाखा के चीफ प्रबंधक ने बताया कि कई दिनों से बैंक में आरबीआई से कैश नहीं आ रहा है। अब यहां पर जो कैश ग्राहकों से आ रहा है उसको ही वितरित किया जा रहा है।
एक सप्ताह से नहीं मिल रहा कैश
कैश बैंक शाखाओं को चेस्ट बैंक शाखाओं से नोट बंदी के बाद अभी तक एक बार में 10 लाख रुपए से अधिक कैश नहीं मिल पाया है। अब तो हालात और भी अधिक बिगड़ गए हैं। एक बैंक शाखा प्रबंधक ने बताया कि एक सप्ताह से उनके बैंक की शाखा को एक रुपए भी कैश नहीं मिल पाया है। यह कहानी एक ही नहीं बल्कि अधिकतर बैंक शाखाओं की है। तीन दिन पहले कस्बे के एक बैंक शाखा के प्रबंधक को मात्र दस हजार रुपए ही मिले।
नहीं आ रहे हैं पांच सौ के नोट
बैंकों में ग्राहकों को अभी भी पांच-पांच सौ रुपए के नोट नहीं मिल पा रहे हैं। बैंकों में लोगों को अभी तक जो भी कैश मिल रहा है, उसमें दो हजार, एक सौ एवं इससे छोटे ही नोट मिल पा रहे हैं। हालांकि लोगों को कई बैंकों से पांच-पांच सौ रुपए के नोट भी मिले हैं, लेकिन बहुत ही कम मात्रा में। जब तक बैंकों में पांच-पांच सौ रुपए के नोट पर्याप्त नहीं आ पाएंगे तब तक स्थिति काबू नहीं आएगी।