सेरणा का लाल बनेगा अफसर, ग्रामीणों ने स्वागत में बिछाए पलक पांवड़े
जालोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
राजस्थान प्रशासनिक सेवा में नव चयनित शंभूसिंह सेरणा के चयन के बाद पहली बार उनके गांव सेरणा लौटने पर ग्रामीणों ने उनके स्वागत में पलक पांवड़े बिछा दिए। जितनी खुशी शंभूसिंह के परिजनों में थी, उससे भी ज्यादा खुश गांव वाले थे। वजह थी उनके बीच उठने बैठने वाला व्यक्ति अब अफसर बनने जा रहा है। गुरुवार को गांव में हर तरफ खुशी का माहौल था।
शंभूसिंह के गांव आने की सूचना पर सुबह से ग्रामीणों ने उनके स्वागत की तैयारियां शुरू कर दी थी। हर कोई उल्लास व उमंग से सराबोर नजर आ रहा था। जैसे ही गांव में कोई वाहन पहुंचता गांव वाले बेसब्री से उठ खड़े होते। शंभूसिंह के गांव में पहुंचते ही युवाओं ने नाच कर उनकी खुशी जाहिर की। वहीं गांव के बड़े बुजुर्गों ने उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना के साथ आशीर्वाद दिया। इस दौरान सैकड़ों ग्रामीणों ने ढोल ढमाकों के साथ गर्मजोशी से उनका स्वागत किया। गांव के आम चौहटे पर सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ जमा हो गई। इस दौरान चौहटे से ही जुलूस निकाला गया। गांव में जगह-जगह ग्रामीण महिला-पुरुषों ने उनका स्वागत किया। इस दौरान जुलूस नागणेशी मंदिर पहुंचा। जहां शंभूसिंह ने मां भगवती के चरणों में धोक लगाई। इस दौरान ग्रामीणों ने माल्यार्पण व साफा पहनाकर उनका स्वागत किया। इस अवसर पर शंभूसिंह ने सभी को सम्बोधित करते हुए कहा कि कोई भी कार्य नामुमकिन नहीं है। कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती। बस जरूरत है तो लक्ष्य को हासिल करने के लिए लगन और कड़ी मेहनत की। अगर इंसान ठान ले तो मुश्किल से मुश्किल कार्य में भी वह कामयाबी हासिल कर सकता है। उन्होंने कहा कि आज भी ग्रामीण तबके में महिला शिक्षा की स्थिति अच्छी नहीं है। अगर बेटी शिक्षित होती है तो वह दो परिवारों की तकदीर संवारती है। इसलिए बेटे के साथ ही बेटी को भी शिक्षित व संस्कारवान बनाए। इस दौरान उन्होंने ग्रामीणों का आभार जताया। सभा को पूर्व सरपंच व जालोर उपभोक्ता संघ के सदस्य केसरसिंह राठौड़, भीनमाल कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष मांगीलाल भट्ट, प्रगतिशील शिक्षक संघ के प्रदेश मुख्य महामंत्री पूनमचंद बिश्नोई, पंचायत समिति सदस्य विक्रमसिंह राठौड़ ने भी सम्बोधित किया। इस मौके प्रधानाचार्य कुलदीपसिंह, भागीरथ बिश्नोई, महेंद्रसिंह राठौड़, पूनमाराम, मोडसिंह राठौड़, यशपालसिंह चारण, मदनसिंह चारण, जितेंद्रसिंह, एडवोकेट विक्रमसिंह, सहित सेरणा, मोदरा, धानसा, रानीवाड़ा काबा, धनानी व बाकरा के सैकड़ों ग्रामीण मौजूद थे।