अब जवाई नदी में आ रहा इतना पानी, जानकर आप भी रह जाएंगे हैरान…
जालोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
जल संसाधन विभाग की कार्यशैली देखकर आपको भी हैरानी होगी। दो दिन पहले 26 अगस्त को विभागीय अधिकारियों ने बांध में पानी की आवक बढ़ते ही अचानक तीन गेट खोलकर साढ़े पांच हजार क्यूसेक पानी की निकासी शुरू की, लेकिन जैसे ही बारिश बंद हुई पानी की निकासी में कटौती करनी शुरू कर दी। हाल यह है कि सोमवार सुबह तक महज एक गेट आधा फीट खोलकर 478 क्यूसेक पानी की निकासी की जा रही है।
गौरतलब है कि जवाई बांध के कैचमेंट एरिया में शुक्रवार रात व शनिवार को अच्छी बारिश के बाद एक गेट को आधे फीट से बढ़ाकर एक फीट किया गया था। इसके बाद दोपहर दो बजे एक गेट दो फीट खोलकर 1861 क्यूसेक पानी की निकासी शुरू की गई थी। वहीं शाम चार बजे तीन गेट दो-दो फीट खोलकर 5583 क्यूसेक की निकासी की जाने लगी। शाम आठ बजे तक दो गेट तीन-तीन फीट खोलकर 5482 क्यूसेक शुरू की गई। इसके आधे घंटे बाद ही शाम साढ़े आठ बजे दो गेट एक-एक फीट खोलकर 1894 क्यूसेक पानी की निकासी की गई। इस दौरान बांध का गेज 60.15 फीट था। इस बीच, रविवार सुबह आठ बजे एक गेट को बंद कर दिया गया। रविवार को एक गेट को एक फीट तक खुला रखकर 947 क्यूसेक पानी की निकासी की गई। लेकिन सोमवार सुबह आठ बजे तक इस गेट को आधा फीट खुला रखकर 478 क्यूसेक पानी की निकासी शुरू की जाने लगी। हालांकि वर्तमान में बांध का गेज 60.15 फीट होने के साथ ही जल उपलब्धता 7039 एमसीएफटी है। वहीं सेई बांध से पानी की आवक जारी है।
गैर जिम्मेदाराना हरकतों से बर्बाद हो रहा पानी
कहना गलत नहीं होगा कि जल संसाधन विभाग के अधिकारी पानी की निकासी को लेकर गैर जिम्मेदार रहे हैं। इस बार अच्छी बारिश होने के बावजूद विभागीय अधिकारी बांध का गेज 58 फीट से ऊपर जाने के बावजूद पानी की निकासी को लेकर ना-नुकर करते रहे। लेकिन जब अतिवृष्टि से बांध छलकने की हालत में पहुंचा तो आनन-फानन में एक साथ अस्सी हजार क्यूसेक पानी की निकासी कर दी। इसके बाद 58.50 फीट पर गेज कंट्रोल रखते हुए पानी की निकासी की जाने लगी। लेकिन 19 अगस्त को अचानक से पानी की निकासी बंद कर दी गई। लेकिन आवक जारी रहने के बाद 23 अगस्त को फिर से पानी की निकासी शुरू की गई। वहीं गत 26 अगस्त को कैचमेंट एरिया में अच्छी बारिश होते ही एकसाथ साढ़े पांच हजार क्यूसेक पानी की निकासी कर दी गई। जबकि दो दिन में ही पानी की निकासी 478 क्यूसेक पर आ गई। कुल मिलाकर विभागीय अधिकारियों को इस पानी के सदुपयोग से कोई सरोकार नहीं है। उनका मानस सिर्फ पाली जिले के लिए 60 फीट पानी बांध में रखने से मतलब है। चाहे इसके बाद ज्यादा पानी आने पर एक साथ निकासी से जालोर जिले में जन-धन की हानि ही क्यों ना हो। लेकिन सच तो यही है कि उनकी गैर जिम्मेदाराना कार्यशैली से लाखों गैलन पानी बर्बाद हो रहा है। जबकि इससे नियमित और नियंत्रित तरीके से निकासी की जाती तो इससे जालोर के भूजल रिचार्ज को मदद मिलती। वहीं इससे पानी की गुणवत्ता भी सुधरती।
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