इसलिए जवाई बांध के पानी को तरसती है जालोर की जनता, जानिए वजह…
जालोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
इस बार अच्छी बारिश से बहुत ही कम समय में जवाई बांध का गेज बढ़कर छलकने की स्थिति में आ गया, लेकिन राजनीतिक दबाव के बोझ तले दबे जल संसाधन विभाग के अधिकारी ना तो सरकार के आला अधिकारियों के सामने पानी की निकासी के लिए मुकर हो सके और ना ही वे पाली जिले के जनप्रतिनिधियों के आगे बोल सके। यही वजह है तमाम दलीलों के बावजूद विभागीय अधिकारी 58 फीट पर चार सौ क्यूसेक पानी की निकासी करने तक को तैयार नहीं हुए।
हकीकत तो यह है कि जालोर जिले के राजनीतिक प्रतिनिधि इस स्तर तक कमजोर है कि वे बांध के पानी की निकासी के लिए बोलने तक को तैयार नहीं है। तिस पर अगर इसके मुंह खोलते भी है तो ऐसे जैसे वे जालोरवासियों के लिए खैरात मांग रहे हो। हां यह सही है कि आहोर विधायक इसके लिए आंशिक रूप से प्रयास जरूर करते हैं, लेकिन यह भी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। अव्वल तो विभागीय अधिकारी उनकी बात को इतने हलके में टाल देते हैं कि उन्हें कोई फर्क ही नहीं पड़ता। तो दूसरी तरफ जालोर विधायक, भीनमाल विधायक, रानीवाड़ा विधायक, सांचौर विधायक और जालोर-सिरोही के सांसद इस पूरे मामले में मुंह मोड़े रहते हैं जैसे उन्हें जवाई के पानी से कोई सरोकार ही नहीं हो। जबकि हकीकत यह है कि जालोर जिले के आधे से ज्यादा हिस्से की समृद्धि वर्तमान में सिर्फ जवाई नदी पर टिकी है।
पहले पानी पर कुंडली, फिर बर्बादी के लिए छोड़ दिया
पाली जिले के नेताओं के साथ ही जल संसाधन विभाग के अधिकारी इस कदर हठधर्मी रवैया अपनाते हैं जैसे जवाई बांध उनके परिवार की जम्हूरियत हो। यह बात दीगर है कि कुछ अधिकारियों ने अपनी दूरदर्शिता से जवाई बांध के पानी से होने वाली बर्बादी से लोगों को ना केवल बचाया, बल्कि जालोरवासियों को उनके हक के अनुसार पानी भी मुहैया करवाया है। बीते साल जवाई बांध सलाहकार समिति में शामिल पूर्व अतिरिक्त मुख्य अभियंता शंकरलाल परमार ने समय रहते पानी छोड़कर ना केवल बांध के गेज को कंट्रोल रखा, बल्कि जवाई नदी में भी पौने दो माह तक पानी की निकासी जारी रखी। लेकिन इस बार विभागीय अधिकारी 58 फीट गेज पहुंचने के बावजूद पानी छोडऩे के लिए तैयार नहीं हुए। इसके बार 59.65 फीट गेज होने पर 400 क्यूसेक पानी की निकासी की गई। लेकिन अतिवृष्टि के बाद जैसे ही गेज 60.40 फीट पहुंचा, उनके हाथ पैर फूल गए। देखते ही देखते एक साथ ग्यारह गेट खोलकर 80 हजार क्यूसेक पानी की निकासी की गई। इससे बड़ी विड़म्बना क्या होगा कि एक महीने तक नदी की रौनक कायम रखने और भूजल के लिए सौगात बनने वाला पानी एक ही रात में बहकर बर्बाद हो गया। इससे सैकड़ों लोगों के खेतों में नुकसान हुआ वह अलग।
सरकारी सम्पत्ति और खेतों में नुकसान का जिम्मेदार कौन
इस बार अगर समय रहते 58 फीट पर ही पानी की निकासी शुरू कर दी जाती तो शायद 28 जुलाई की रात को यह हालात नहीं बनते कि एक साथ ग्यारह गेट खोलने पड़े। वोट बैंक के फायदे की सोच में डूबे कुछ राजनेताओं ने जवाई बांध के पानी को ऐसी हालत में लाकर खड़ा कर दिया है कि वह कभी भी श्राप बन सकता है। गत 28 जुलाई की रात सुमेरपुर से लेकर बागोड़ा तक कई गांवों के लोगों की आंखों से नींद नदारद थी। भारी बारिश के साथ जवाई बांध से हो रही पानी की निकासी ने जनजीवन पर संकट खड़ा कर दिया था। हालांकि बारिश थमने के साथ ही बांध में भी पानी की आवक कम हुई और गेज कंट्रोल हो गया। लेकिन इस पानी ने कई खेतों को बंजर बना दिया तो कई जगह आर्थिक क्षति भी पहुंचाई। सुमेरपुर और सांकरणा में पुलिया टूटकर बिखर गई। आखिर इस बर्बादी के जिम्मेदार कौन है?
यह है बांध की स्थिति
जवाई बांध की कुल भराव क्षमता 7327 एमसीएफटी हैं। बांध से पाली जिले के 9 शहरों एवं 346 गांवों में पेयजल आपूर्ति की जाती है। वर्तमान में बांध में 7000 क्यूसेक पानी उपलब्धता है। वहीं बांध का कुल गेज 61.25 फीट है, जबकि वर्तमान में 60 फीट तक बांध में पानी है।
बहुत ही सटीक विश्लेषण किया है वाकई आप बधाई के पात्र है क्या इसके लिये कोई रीट नहीं लग सकती है सरजी
ReplyHaa ji
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