EVM से छेड़छाड़ के रहे आरोप, जानिए…क्या कहते है तकनीशियन
नई दिल्ली.
देश में हाल ही पांच विधानसभाओं के चुनाव पूर हुए, लेकिन परिणाम को लेकर हारी हुई पार्टियां ईवीएम मशीन को लेकर आए दिन नए-नए आरोप लगाए जा रही है। वहीं अरविंद केजरीवाल ने तो आगामी चुनाव बैलेट से करवाने की भी मांग कर दी तो बसपा सुप्रीमो ने उत्तरप्रदेश में चुनाव को लेकर ईवीएम से छेड़छाड़ का आरोप लगाया है।
वहीं दूसरी और देश के वरिष्ठ तकनीशियनों और वैज्ञानिकों की समितियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि इनके साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा सकती।
ऐसे तैयार होती है मशीन
चुनाव आयोग के अधिकारी बताते है कि मैकेनिक और इलेक्ट्रॉनिक दोनों ही तरीके से ईवीएम के साथ कोई छेड़छाड़ या मनमानी नहीं की जा सकती। इस मशीन में जो प्रोग्राम या सोफ्टवेयर इस्तेमाल किया जाता है उसे वन टाइम प्रोग्रामेबल मास्क्ड चिप में बर्न किया जाता है। इसी तरह ये मशीनें तार के जरिए या बेतार तरीके से किसी मशीन, सिस्टम या नेटवर्क से जुड़ी नहीं होती हैं। इसलिए इसके डेटा के साथ छेड़छाड़ की आशंका भी नहीं रह जाती। आयोग के मुताबिक ईवीएम को बनाने की प्रक्रिया भी पूरी तरह सुरक्षित है। इसे रक्षा मंत्रालय से संबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी बीईएल और एटमिक ऊर्जा मंत्रालय से संबद्ध ईसीआइएल में तैयार किया जाता है।
चुनाव से पहले की जाती है जांच
चुनाव के दौरान मतदान के दिन इसका इस्तेमाल शुरू करने से पहले इसकी जांच सभी उम्मीदवारों को करवा दी जाती है। उन्हें कोई भी बटन दबा कर यह देखने की छूट होती है कि वास्तव में वह वोट दर्ज हो रहा है या नहीं। इस प्रदर्शन के बाद मशीन को वापस रीसेट कर दिया जाता है और फिर सील कर दिया जाता है। मतदान के बाद मतगणना तक इसे इतनी अधिक सुरक्षा में रखा जाता है जहां इसके साथ छेड़छाड़ का कोई रास्ता नहीं होता।
पहले भी लग चुके है आरोप
आयोग का कहना है कि वर्ष 2000 से ही इनका हर चुनाव में इस्तेमाल हो रहा है और इसकी सुरक्षा को ले कर पूरा विश्वास है। इसकी सुरक्षा की पुष्टि के लिए कई बार विशेषज्ञ समितियां गठित की जा चुकी हैं। इसी तरह वर्ष 2009 में किसी भी विशेषज्ञ को खुली चुनौती दी थी कि वह आ कर किसी भी तकनीक का इस्तेमाल कर मशीन में हेराफेरी कर के दिखाए। तब भी इस पर संदेह जताने वाले पूरी तरह नाकाम रहे थे।