कायदे तोड़ उप सभापति को आवंटित किया कक्ष, गले में आई तो दबंगई से रात में ही जड़ दिए ताले…
जालोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
नगर परिषद का तो भगवान ही मालिक है। राजनीति का अखाड़ा बन चुकी परिषद में भ्रष्टाचार के बोलबोले के साथ ही दबंगई भी इस कदर हावी है कि यहां जनप्रतिनिधि से लेकर अधिकारी तक अपनी मनमानी करने से पीछे नहीं रहते। उप सभापति को करीब ढाई साल तक नियमों के विरुद्ध कक्ष आवंटन करने से राजकोष को लाखों का चूना लगता रहा, लेकिन सभापति व आयुक्त से लेकर पार्षद तक इस खेल को खामोशी से देखते रहे। अब एक आरटीआई कार्यकर्ता की ओर से जब सूचना मांगी तो आयुक्त के भी गले में आ गई। नियमों के विरुद्ध किए गए इस आवंटन पर परिषद ने भी गलती मानी है। इधर, जब शिकायत जिला प्रशासन और स्वायत्त शासन विभाग पहुंची और मामला बढऩे लगा तो आयुक्त ने कायदों के खिलाफ जाकर रात के अंधेरे में ही उप सभापति का कक्ष खाली करवा दिया। जबकि नियमानुसार आयुक्त को नोटिस देकर इस मामले में कार्यवाही करनी थी।
दरअसल, नगर परिषद की ओर से करीब ढाई साल पूर्व उप सभापति को परिषद में ही कार्यालय के लिए कक्ष आवंटन किया गया था। हालांकि उस समय भी दबी जुबान में इसका विरोध भी हुआ, लेकिन नियमों की जानकारी के अभाव में हर किसी ने खामोशी अख्तियार कर ली। इस दौरान कक्ष आवंटन के साथ ही उप सभापति के कक्ष में एयर कंडीशनर लगाने के साथ ही एक सहायक कर्मचारी की व्यवस्था की गई। गत दिनों एक नागरिक ने सूचना का अधिकार के तहत आवेदन पेश कर जानकारी मांगी तो कक्ष आवंटन के साथ ही पूरा मामला ही कायदों के विरुद्ध निकला। इस दौरान आवेदक ने इसकी शिकायत जिला प्रशासन के साथ ही स्वायत्त शासन विभाग में भी कर दी। हालांकि बुधवार को नगर परिषद के आयुक्त त्रिकमदान चारण जोधपुर में सरकारी कार्य से थे, लेकिन देर रात को परिषद कार्यालय खोलकर उन्होंने दबंगई से ताले तोड़कर सामान बाहर निकलवा दिया। साथ ही इस कक्ष को आभियांत्रिक कक्ष बना दिया। हालांकि आयुक्त चारण की मानें तो वे शाम को जोधपुर से आए उस समय उनकी टेबल पर एसडीओ की ओर से कक्ष आवंटन रद्द करने के आदेश आए थे। जिस पर उन्होंने कार्यवाही की।
विरोध जताया, एएसपी से की शिकायत
इस सम्बंध में उप सभापति मंजू सोलंकी को गुरुवार दोपहर करीब तीन बजे पता चला। इस दौरान वे कुछ पार्षदों को लेकर अपने कार्यालय पहुंची तो वहां पर ताला देखकर उन्होंने कार्यवाहक आयुक्त मफाराम से पूछताछ की। इस पर उन्होंने जानकारी नहीं होने की बात कहते कलेक्ट्रेट में हो रही बैठक में भाग लेने चले गए। इधर, उप सभापति सोलंकी ने कुछ पार्षदों के साथ कार्यवाही पर आपत्ति जताई। इसके बाद वे अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंची। जहां उन्होंने इस सम्बंध में मुकदमा दर्ज करवाने के लिए प्रथम सूचना रिपोर्ट पेश की। जिसमें उन्होंने महत्वपूर्ण कागजात सहित सोने की दो अंगुठी व अन्य सामान चोरी होने की जानकारी दी है।
विवादों के घेरे में आयुक्त
कहने को आयुक्त त्रिकमदान चारण ने करीब चार माह पूर्व कार्यभार संभाला था। लेकिन उनके कार्य संभालने के बाद से परिषद के कार्यों को विराम सा लग गया है। हालांकि यह है कि पार्षद तक अपने कार्यों के लिए परिषद के गलियारों में डोलते रहते हैं। वहीं आयुक्त के व्यवहार को लेकर भी कई पार्षद नाराज है। गत दिनों बजट बैठक के दौरान वे करीब एक घंटे बाद पहुंचे। इस पर कांग्रेसी पार्षदों ने विरोध जताया था। जिस पर आयुक्त ने माफी मांगी थी। इसी तरह पंचायत समिति के सामने नाले की समस्या को लेकर भी वे समाधान के नाम पर गोलमोल जबाव देने के कारण विवादों में है। इसको लेकर गत दिनों पार्षदों ने भी उन्हें आड़े हाथों लिया था। अब अनधिकृत रूप से आवंटित कक्ष को हटाने के लिए वे अपनी मनमानी से फिर से विवादों के घेरे में है।
यह है मामला
गौरतलब है कि शहर के नागरिक हीराचंद भंडारी ने गत दिनों नगर परिषद में सूचना का अधिकार के तहत आवेदन पेश किया था। जिसमें जिसमें उप सभापति के अधिकारों की जानकारी मांगी थी। साथ ही उन्हें कार्यालय आवंटन करने के सम्बंध नगर पालिका अधिनियम की जानकारी भी चाही थी। इस सम्बंध में नगर परिषद की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी में बताया गया था कि नगर परिषद में उप सभापति को अलग से कक्ष आवंटन करने का कोई प्रावधान ही नहीं है। सूचना में यह भी बताया गया कि गत बोर्ड के कार्याकाल के दौरान वर्ष २००४ में तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष ने मौखिक आदेश जारी कर एक कक्ष उप सभापति एवं एक कक्ष नेता प्रतिपक्ष को आवंटन करने के लिए कहा था। उसी की निरंतरता में इस बोर्ड में भी उप सभापति व नेता प्रतिपक्ष को एक-एक कमरा उपलब्ध कराया गया है। वहीं उप सभापति के कक्ष में परिषद के सामान्य कोष्ज्ञ से एयर कंडीशनर लगाया गया है। जिसके बिजली मीटर की व्यवस्था अलग से नहीं है और इस बिजली बिल का भुगतान नगर परिषद के कॉमन बिल के साथ किया जाता है। इसके अलावा परिषद ने खुद यह भी माना कि उप सभापति के कक्ष में प्रशासनिक व्यवस्था के लिए सहायक कर्मचारी लगाया गया है, जबकि ना तेा यह कायदों में है और ना ही इससे पूर्व नगर परिषद में ऐसी कोई व्यवस्था रही है। सूचना में भी यह बताया गया था कि आयुक्त व सभापति के नाम प्रस्तुत होने वाले प्रार्थना पत्रों व आवेदनों पर प्रासांगिक व्यवस्था के तौर पर आयुक्त, सभापति व कार्यालय सहायक की ओर से ही मार्किंग अथवा टिप्पणी की जा सकती है। जबकि उप सभापति, नेता प्रतिपक्ष या पार्षदों की ओर से केवल अपनी सिफारिश अंकित कर आयुक्त या सभापति को आवेदन पेश किया जा सकता है।