भारत की इस नदी से निकलता है सोना, आदिवासियों की आजीविका का है साधन, जानिए आप भी…

अर्थ न्यूज नेटवर्क


शीषर्क देखकर सौंचना लाजिमी है, लेकिन यह बात सोलह आने सच है। जी हां, झारखंड राज्य के रत्नगर्भा क्षेत्र में बहने वाली स्वर्णरेखा नदी इसी चमत्कार के कारण जानी जाती है। इस नदी के पानी में स्वर्ण कण शामिल है। खास बात यह है कि आसपास के आदिवासी लोग नदी के तल को छान-छान कर सोने के कण एकत्रित करते हैं। यही उनकी आजीविका का साधन भी है।
दरअसल, झारखंड क्षेत्र में यूं तो कई नदियां हैं, लेकिन स्वर्णरेखा नदी की खास पहचान है। यहां के आदिवासी लोग इस नदी को नंदा के नाम से जानते हैं। हालांकि इस नदी में सोने के कण शामिल होने के रहस्य को आज तक वैज्ञानिक भी नहीं ढूंढ पाए, लेकिन यहां के आदिवासी समुदायों के लोगों के लिए यह नदी जीवन-यापन का मुख्य साधन बनी हुई है।

स्वर्ण व्यापारियों को बेचते हैं सोने के कण

आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी तादाद में इस कार्य से जुड़े हुए हैं। ये लोग दिनभर नदी के तल को छानकर सोने के कण एकत्रित करते हैं। जिसे ये लोग स्वर्ण व्यापारियों को बेचते हैं। इसकी एवज में व्यापारियों की ओर से इन लोगों को मेहनताना भी दिया जाता है। बाद में व्यापारी इन स्वर्ण कणों को परिष्कृत कर शुद्ध सोना निकालते हैं।

बंगाल की खाड़ी मिलती है नदी

रांची स्थित यह नदी अपने उद्गम स्थल से निकलकर सीधे बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यह किसी अन्य नदी में शामिल नहीं होती। स्थानीय लोगों की मानें तो नदी में सोने के कण मिले होने के रहस्य को जानने के लिए कई बार नदी पर मशीनों की सहायता से शोध किया गया, लेकिन आज तक इस रहस्य से पर्दा नहीं उठ पाया कि यह कण जमीन के किस हिस्से में विकसित होते हैं। यह वजह है कि नदी में स्वर्ण कण मिलने का राज अब भी बरकरार है।

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