शिक्षित समाज के लिए शिक्षा मंदिरों की आवश्यकता : निर्मल गहलोत
– माली समाज का तेरहवां जिलास्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह व शिक्षा सेमीनार
पृथ्वीराज गोयल @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
भीनमाल. नगर के क्षेमंकरी माता मंदिर तलहटी माली समाज भवन में रविवार को संत श्री लिखमीदास सेवा संस्थान के तत्वावधान में माली समाज का जिला स्तरीय प्रतिभा सम्मान समारोह व शैक्षणिक सेमीनार का आयोजन हुआ। समारेाह में नागौर स्थित विश्वप्रसिद्ध गौ चिकित्सालय के महामण्डलेश्वर महंत कुशालगिरी की सान्निध्यता रही।
समारोह व सेमीनार के मुख्य अतिथि उत्कृष्ट संस्थान जोधपुर के निदेशक निर्मल गहलोत ने कहा कि वर्तमान समय में आवश्यकता है कि गांव-गांव में मंदिर व धर्मशालाओं की जगह शिक्षा मंदिरों का निर्माण हो। शिक्षा मंदिर यानी कि छात्रावास व कोचिंग सेंटर खुलने चाहिए, तभी हमारा समाज शिक्षा के मार्ग पर आगे बढ़ पाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में धन खर्च करना ही धन का सदुपयोग है। वर्तमान समय शिक्षा का युग है। उन्होंने बन्दर और मछली का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर इन दोनों में पेड़ पर चढऩे की प्रतियोगिता आयोजित करवाई जाले तो तय है कि बन्दर ही जीतेगा। क्योंकि वह उसका क्षेत्र है। जबकि अगर तैरने की प्रतियोगिता आयोजित करवाई जाए तो मछली की जीत तय है। इसलिए उन दोनों को अपने अपने क्षेत्र चुनने और लक्ष्य निर्धारण में स्वतंत्रता होनी चाहिए। अभिभावक अपने बच्चों पर अपनी महत्वकांक्षा को थोपे नहीं वरन उन्हें उनके अनुसार चयन करने का अवसर प्रदान करें। युवाओं से आह्वान किया कि जीवन में सफलता के लिए निराशा व नकारात्मकता को हावी नहीं होने दे। आदमी में जातिगत भावना तो होनी चाहिए मगर जातिवाद नहीं। किसी भी समाज के उत्थान पर ईष्र्या नहीं कर अपने आप को मजबूत बनाना होगा। बेटी की शादी में दिखावे की बजाए बेटी की शिक्षा पर धन खर्च करना होगा। उन्होंने समाज के सभी संगठनों को शिक्षा के क्षेत्र में कार्य कर समाज उत्थान में महत्ती भूमिका निभाने का आह्वान किया।
महंत कुशालगिरी ने कहा कि वर्तमान समय में पर्यावरण सरंक्षण व गोरक्षा की महत्ती आवश्यकता है। पर्यावरण देता ही है, लेता कुछ नहीं है। उन्होंने उपस्थित लोगो को समाज को नशामुक्ति बनाने का आह्वान किया। एम्स जोधपुर में कार्यरत कॉर्डियोलोजिस्ट डॉ. सुरेन्द्र देवड़ा ने कहा कि शिक्षित समाज से हमारा तात्पर्य यह नहीं होना चाहिए कि हम पढ़ लिख लिए और उच्च पदों पर आसीन हो गए, बल्कि शिक्षित समाज का मतलब होता है कि वह समाज जिसकी जड़ में कुरीतियां नहीं है। समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए उच्च पद आसीन लोग समाज में अन्य लोगों की मदद करें। प्रोफेसर भरत देवड़ा ने कहा कि प्रतिभाओं को सम्मानित कर उनका आत्मबल बढ़ाना सराहनीय कार्य है। शिक्षा से ही समाज का सर्वांगीण विकास होगा। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया जीवन में लक्ष्य निर्धारित कर लक्ष्य को पाने के लिए निरन्तर प्रयास करे। जोधपुर से आई दिव्यांग बच्चों की शिक्षिका दिव्या गहलोत ने कहा कि समाज में नारी शक्ति की उपेक्षा कर समाज का विकास संभव नहीं है। समाज में बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने का आह्वान करते हुए कहा कि लड़की की शिक्षा और संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी चलते जाएंगे। प्रोफेसर दिनेश गहलोत ने कहा कि समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने व समाज की प्रतिभाओं के सम्मान के लिए समाज के लोग जो समय व धन का उपयोग कर रहे हैं, वह सराहनीय है। पीपाड़ सिटी कन्या महाविद्यालय की पूर्व अध्यक्ष सुमित्रा गहलोत ने कविता के माध्यम से बेटी बचाने व बेटी को शिक्षा देने का आह्वान किया। उन्होंने समाज में बेटियों के प्रति रूढ़ीवादी सोच को बदलने का आह्वान किया। प्रवक्ता बाबुलाल देवड़ा ने कहा कि माली समाज शिक्षा की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है। अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी मुकेश सोलंकी ने युवाओं में कम्यूनिकल स्कील की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि हम अपनी बात को सही ढंग से नहीं रख पाने के कारण कई बार असफल होते हैं। अभिव्यक्ति नहीं कर पाने से युवा साक्षात्कार में सफल नहीं हो पाते हैं। समाज में संस्कारों की महत्ती आवश्यकता है। संस्कारों से व्यक्ति का चरित्र निर्माण होगा। संस्थान के सचिव भंवरलाल सोलंकी ने अतिथियों, भामाशाहों व सहयोगकर्ताओं का आभार ज्ञापित किया। समारोह का संचालन मीठालाल जांगिड़ व पारसमल सांखला ने किया। सचिव भंवरलाल सोलंकी ने बताया कि समारोह में जिलेभर से माली समाज की 485 प्रतिभाओं, 60 भामाशाहों व 5 शिक्षाविदें को स्मृति चिह्न, प्रशस्ति-पत्र व मेडल प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस मौके संस्थान के अध्यक्ष छगाराम सांखला, भंवरलाल परमार, चौथाराम सांखला, लहराराम सोलंकी, बाबुलाल परमार, प्रभुराम सांखला, हुआदेवी मानाराम महाविद्यालय के भंवरलाल मालवाड़ा, माली सैनी संदेश के मनीष गहलोत, भंवरलाल सोलंकी, कलाराम सुंदेशा, गंगाराम सांचौर, अमराराम परमार, दिनेश वत्सल, हीरालाल सोलंकी, भारताराम सुंदेशा, डॉ. प्रेमराज परमार, जेठाराम गहलोत बडग़ांव, पारस माली, रामलाल सोलंकी, बाबुलाल सुंदेशा, सुरेश सोलंकी बडग़ांव, माली युवा संगठन के अध्यक्ष मांगीलाल गहलोत, किसान नेता भगवानाराम, सीएल गहलोत, देवीलाल गहलोत, दुर्गाराम सोलंकी, तेजाराम सांखला व वेलाराम सांखला सहित कई माली समाज के लोग मौजूद थे।