हाईकोर्ट ने कहा जयललित की मौत पर संदेह, सच्चाई सामने आनी चाहिए
अर्थन्यूज नेटवर्क
अब हाईकोर्ट ने भी तमिलनाडु की सीएम रहीं जयललिता की मौत पर संदेह जताया है। मद्रास हाईकोर्ट ने इस मामले में जांच की मांग को लेकर दायर पिटीशन पर गुरुवार को सुनवाई की। जिसमें कहा जांच के लिए जयललिता की बॉडी को बाहर क्यों नहीं निकाला जा सकता? मौत को लेकर मीडिया ने कई सवाल उठाए हैं। हमें भी शक है। पूरी सच्चाई सामने आनी ही चाहिए। कोर्ट ने इस मामले में पीएमओ, होम-लॉ-पॉर्लियामेंट्री मिनिस्ट्री और सीबीआई को नोटिस जारी किया। गुरुवार को ही शशिकला को पार्टी का जनरल सक्रेटरी चुना गया है।
गुरुवार को मद्रास हाईकोर्ट ने पार्टी के जोसेफ की पीआईएल पर सुनवाई करते हुए जयललिता को लेकर सीक्रेसी बरतने पर नाखुशी जाहिर की। कोर्ट ने कहा कि जयललिता को हास्पिटल में भर्ती कराने के बाद बताया गया कि उनकी डाइट ठीक चल रही है। तो अब उनकी मौत पूरी सच्चाई सामने आनी चाहिए। जनता को मालूम चलना चाहिए कि आखिर क्या हुआ था। सभी सवाल करने का हम है, और हमें भी इस पर शक है।
हॉस्पिटल में भर्ती होने के 75 दिनों बाद 5 दिसंबर को जयललिता की मौत हो गई थी। उसकी वजह कार्डिएक अरेस्ट होना बताया गया था। मौत के बाद जयललिता की बॉडी को 6 दिसंबर को मरीना बीच पर एमजीआर मेमोरियल के बगल में दफनाया गया था। एमजीआर जया के राजनीतिक गुरु थे।
सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा, कि हमने भी अखबारों में पढ़ा था कि सीएम ठीक हो रही हैं, वह खाना खा रही हैं, कागजों पर साइन भी कर रही हैं, यहां तक कि मीटिंग भी अटेंड कर रही हैं। फिर अचानक मौत कैसे हो गई? बेंच ने कहा, किसी भी रेवेन्यू डिविजन अफसर ने बॉडी नहीं देखी, न ही कोई मेडिकल रिकॉर्ड है। मौत के बाद कम से कम कुछ सबूत तो दिए ही जाने चाहिए थे। हाईकोर्ट ने एमजीआर की मौत याद दिलाते हुए कहा, 1980 के आखिर में एमजीआर की मौत के बाद भी ऐसे ही हालात बने थे। उनका इलाज चेन्नई और अमेरिका, दो जगह हुआ था। सरकार ने एमजीआर के इलाज का वीडियो जारी किया था।