परेशान ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा करना शुरू किया तो दानदान ने भी सहयोग दिया और कर दिया ये काम पूरा

जालोर.
जालोर के निकट रानीवाड़ा काबा से बाकरा गांव के बीच सदियों पुराना मार्ग जो कई सालों से खराब पड़ा था। यहां से वाहन चालक तो क्या पैदल राहगीरों के लिए गुजरना मुश्किल हो गया। सडक़ बनाने के लिए ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत से भी कई बार गुजारिश की, लेकिन वहां से कोई समाधान नहीं हो पाया। इससे परेशान होकर ग्रामीणों ने खुद सडक़ बनाने की ठानी। फिर क्या था सडक़ के लिए चंदा एकत्र करना शुरू किया, तो दानदाता अशोक राजपुरोहित ने सहयोग की ठानी और 56 हजार रुपए की सहायता राशि ग्रामीणों को दी, और ग्रेवल सडक़ निर्माण को पूरा करवाया।
इससे पहले ग्रामीण 36 हजार रुपए एकत्रित कर चुके थे। बाद में सडक़ का निर्माण शुरू हुआ और अब लगभग काफी काम हो चुका है। इससे पहले यहां आधा किलोमीटर की सडक़ वाहन चालकों और राहगीरों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ था। सेरणा गांव की सरहद में आने वाले इस मार्ग पर बारिश से पानी का भराव हो जाता था। वहीं आस-पास के कृषि कुओं पर निवास करने वाले कई किसानों का रानीवाड़ा काबा और सेरणा गांव से सम्पर्क कट जाता था। मार्ग को बहाल करवाने के लिए यहां के किसानों और ग्रामीणों ने मडगांव ग्राम पंचायत के अलावा जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों को भी अवगत करवाया। लेकिन इस समस्या का कोई समाधान नहीं निकल पाया। ऐसे में परेशान ग्रामीणों ने आखिरकार खुद सडक़ के लिए चंदा इकट्ठा किया। ग्रामीणों की इस पहल को देख दानदाता अशोक राजपुरोहित ने सहयोग किया।

इनका भी रहा सहयोग

ग्रेवल सडक़ बनाने में केसरसिंह काबावत, जोगसिंह, ओखसिंह, उदयसिंह, गणपतसिंह काबावत, पेपसिंह, नकुलसिंह, मालमसिंह, पोलाराम मेघवाल, ईश्वरसिंह, मुकुनसिंह, उम्मेदसिंह राठौड़, हड़मतसिंह काबावत, कुयाराम भील, थानाराम देवासी, डायाराम, चौपाराम देवासी, रमेश कुमार मेघवाल, जबरसिंह, नाथूसिंह व बाबूलाल भील के अलावा रॉयल्टी ठेकेदार ने भी बिना रॉयल्टी लिए ही निर्माण में सहयोग किया।

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