नेहड़ में बदहाली ऐसी, यहां भोजन है ना इलाज, इसलिए निशाने पर है प्रशासन…
कमलेश जांगू. सांचौर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
लूनी नदी में पानी की अति आवक के बाद नेहड़ में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। हाल यह है कि यहां के आम जनजीवन की रफ्तार थम सी गई है। नेहड़ के कई गांवों में एक माह गुजरने के बावजूद दो दर्जन से अधिक गांवों के रास्ते बंद हैं। ऐसे में ये गांव टापू बने हुए हैं। इन गांवों में प्रतिदिन चलने वाली करीब दो दर्जन से ज्यादा बसों का संचालन भी बंद हो गया है। बहरहाल, ग्रामीणों को जरूरी कामों के लिए तैर कर एक गांव से दूसरे गांव तक जाना पड़ रहा है। बावजूद प्रशासन की ओर से आवागमन सुचारू करने के लिए नावों की व्यवस्था तक नहीं हो पाई हैं। नेहड़ के हालात बाढ़ राहत व बचाव कार्यों की योजना को ठेंगा दिखा रहे हैं।
दरअसल, क्षेत्र के सुराचंद-सांचौर मार्ग पर रपट नहीं होने के कारण यह मार्ग पिछले एक माह से बंद है। ऐसे में बाड़मेर को जोडऩे वाले दो दर्जन गांवों का आवागमन बंद हो गया है। सांचौर वाया हाड़ेचा से दूठवा टांपी का रास्ता भी बंद हो रखा है। इधर संूथड़ी से खेजडिय़ाली के बीच दर्जनभर गांवों के रास्ते बंद है। ऐसे में यहां के लोगों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। बाजवूद इन रास्तों को पार करने के लिए प्रशासन की ओर से अब तक नावों की व्यवस्था तक नहीं की गई है। इससे खासकर बच्चों व महिलाओं को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बीस दिनों से टापू बने गांव
नेहड़ के टांपी ग्राम पंचायत के पावटा, सुराचंद की भलाइयां, खेजडिय़ाली का मीठा खागला, सूंथड़ी ग्राम पंचायत के डोडियावा, सांकरिया गांव में पिछले बीस दिनों से पानी भरा हुआ है। लेकिन यहां चिकित्सा सेवा सहित सभी सरकारी सेवा शिथिल है। ऐसे में ग्रामीणों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है।
बांधों पर आसरा
नेहड़ के टांपी, पावटा, सांकरिया, उमरकोट, खेजडिय़ाली के लोगों के लिए बाढ़ का पानी किसी आफत से कम नहीं है। हाल यह है कि इन गांवों में जगह-जगह भरे पानी से कच्चे झोंपड़ों तक को चपेट में ले लिया है। ऐसे में लोगों को मजबूर ऊंचाई वाले स्थानों पर आसरा लेने को मजबूर होना पड़ रहा है। कई लोग सिंचाई विभाग की ओर से बनवाए गए बांधों पर रहने को मजबूर है। जिसके चलते लोगों को खाद्य सामग्री के साथ कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
कहीं फिर से पनप ना जाए बीमारियां
गौरतलब है कि इससे पूर्व भी नेहड़ के गांवों में पानी के भराव के कारण से मच्छर पनप गए थे। इससे बड़ी तादाद में लोग डेंगू, मलेरिया के साथ ही चिकनगुनिया जैसी बीमारियों की चपेट में आ गए थे। अब फिर से ऐसे हालात बने हुए हैं। बीते एक माह से परिवहन व राशन की समस्या के साथ ही यहां चिकित्सा सुविधाएं भी ठप सी हो गई है। इधर, गांवों में बड़ी तादाद में मच्छर पनप रहे हैं। इससे ग्रामीणों को बीमारियां फैलने का खौफ सताने लगा है।
कई घरों में नहीं जले चूल्हे
खेजडिय़ाली ग्राम पंचायत के पावटा गांव में हालात और भी ज्यादा बदतर है। यह गांव बीते पांच दिन से चारों तरफ से पानी से घिरा होने के कारण टापू बना हुआ है। ऐसे में यहां के लोगों के लिए राशन का इंतजाम करना भी मुश्किल हो गया है। हाल यह है कि गांव के कई घरों में चूल्हे तक नहीं जले हैं। यह लोग रुखा सूखा खाने को मजबूर है।