अनोखी शादी : बेटा वार्डपंच, बेटी कॉलेज स्टूडेंट लेकिन शादी 60 साल की उम्र में रचाई

सिरोही

आबूरोड क्षेत्र के रेडवाकला गांव में कुछ दिनों पहले बुजुर्ग दम्पत्ती ने शादी रचाई। 60 वर्षीय धरमा पटेल ने 58 वर्षीय शांति ने 25 मई को परमारफली में शादी की। इसमें खास बात यह है कि शादी में दोनों के परिवार वालों और रिश्तेदारों की उपस्थिति में पूरे रीति-रिवाज के साथ हुई है। आपको यह बता दें कि ये दोनों पिछले 40 सालों से बिना शादी किए साथ में रह रहे थे यानि आप इसे आधुनिक भाषा में लिव-इन-रिलेशनशिप भी कह सकते है।

पूरा मामला कुछ इस तरह है…

40 साल पहले समाज के एक मेले में दोनों ने एक दूसरे को पसंद किया और फिर मेले से ही फरार हो गए। दोनों के परिजन उनके विवाह के लिए सहमत नहीं हुए तब से ही दोनों बिना विवाह के साथ-साथ रह रहे थे। इस दौरान उनकी पांच संतानें हुई। चार बेटे और एक बेटी। अब बेटी-बेटे भी विवाह योग्य हुए तो उनके विवाह में एक सामाजिक अड़चन आड़े रही थी। परम्परानुसार बेटी-बेटों का विवाह तब तक नहीं हो सकता जब तक कि उनके माता-पिता खुद सामाजिक रीति-रिवाज के अनुसार विवाह ना कर लें। इसीलिए 25 मई को धर्मा और शांति ने विवाह किया। इसके तीन दिन बाद 28 मई को धर्मा के चारों बेटों का विवाह हुआ, जबकि मंगलवार को उनकी बेटी की शादी है।

एक बेटा वार्ड पंच तो एक बेटी कॉलेज में अध्ययनरत

धर्मा के चार बेटे समीराराम, नवीन, सुरेश और महेंद्र हैं। समीराराम 30 साल का है। दूसरा बेटा 28 साल का नवीन वार्ड पंच है। तीसरा बेटा सुरेश 26 का है और ट्रैक्टर चलाने का काम करता है। चौथा बेटा 22 साल का महेंद्र हैं। एक बेटी माधुरी भी है, जो 21 साल की है और कॉलेज में पढ़ती है। माता-पिता की शादी के बाद 28 मई को चारों बेटों की भी शादी हो गई, जबकि मंगलवार को इस परिवार की बेटी माधुरी की भी शादी हो रही है।

लिव इन रिलेशनशिप यहां सदियों पुरानी परंपरा

इन दिनों अक्सर चर्चा में रहने वाला शब्द लिव इन रिलेशनशिप यहां सदियों पुरानी परंपरा है। आदिवासी समाज में अधिकांश शादियां इसी परंपरा से होती हैं। हर साल यहां सियावा गांव में एक मेला लगता है। इसी मेले में युवक-युवती एक-दूसरे को पसंद करते हैं। युवक युवती के सामने प्रेम का प्रस्ताव रखता है और फिर उसकी रजामंदी पर दोनों परिवार वालों से बचते हुए मेले से भाग जाते हैं। कुछ दिन वे बिना विवाह किए एक दूसरे के साथ रहते हैं। इस दौरान कुछ के परिवार वाले उनके विवाह के लिए सहमत हो जाते हैं तो एक दो दिन बाद परंपरानुसार उनका विवाह हो जाता है, लेकिन जिनके परिवार वाले नहीं मानते वे बिना विवाह ही एक दूसरे के साथ रहते हैं।

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