श्रीमनोरमा गोलोकतीर्थ नंदगांव में कल होगा दिव्य शरद पूर्णिमा उत्सव

गुमानसिंघ @ अर्थ न्यूज नेटवर्क


 रानीवाड़ा. श्रीमनोरमा गोलोक तीर्थ नंदगांव में 15 अक्टूबर की रात्रि को होने वाले भव्य शरद पूर्णिमा महोत्सव की तैयारियां पूज्य सुमन सुलभ महाराज के सान्निध्य में नंदगांव प्रबन्धक अलोक सिंघल की देखरेख में पूर्ण हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि नंदगांव में दूर-दूर तक एक तरफ रेतीले टीले और दूसरी तरफ बड़े-बड़े पहाडों के मध्य 10 हजार से अधिक गोवंश तथा लाखों पौधों की हरितिमा के बीच शरद पूर्णिमा का खिलता चांद स्वर्ग सा नजारा पेश करता है। इस अदभुत नजारे का आनन्द लेने के लिए पूरे देश के कोने-कोने से हजारों गोसेवक-गोभक्त नर-नारी बच्चों सहित नंदगांव पहुंचते हैं। परम गोवत्स बाल व्यास राधाकृश्णजी महाराज के सान्निध्य में 15 अक्टूबर की आधी रात तक गोमहिमा संकीर्तन के साथ शरद पूर्णिमा महोत्सव मनाया जाएगा। पथमेड़ा गोधाम महातीर्थ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं प्रखर विचारक पूनम राजपुरोहित ‘मानवताधर्मी’ ने बताया है कि नंदगांव की शरद पूर्णिमा पर्व मनाने देश के कोने-कोने से प्रतिवर्ष हजारों गोभक्त-गोसेवक सपरिवार पहुंचते हैं। परम गोवत्स राधाकृष्ण राधाकृ़ष्ण महाराज ने चिर परिचित मधुर वाणी व दर्शन कर गोमाता के जयकारों के साथ भक्त-भाविक आलौकिक प्रसन्नता से भर संगीतमय संकीर्तन के साथ सामूहिक गोसेवा-गोरक्षा का संकल्प लेते हैं। राजपुरोहित ने बताया के अगले दिन 16 अक्टूबर को श्रीपथमेड़ा गोधाम एवं श्रीमनोरमा गोलोक नंदगांव सहित सभी गोशालाओं के वरिष्ठ कार्यकताओं सहित गोसेवा महामंडल की महत्वपूर्ण बैठक होगी। जिसमें गोसेवा-गोरक्षा सम्बन्धित सभी परिस्थितियों पर चिंतन होगा।
औषधीय पदार्थों युक्त खीर का होगा प्रसाद
शरद पूर्णिमा की चांदनी भरी पूरी रात्रि का वातावरण परम स्वास्थ्य वर्धक होता है। पिछले 21 वर्षों से श्रीपथमेड़ा गोधाम महातीर्थ में तथा अब गत 9 वर्षों से गोलोकतीर्थ नंदगांव में भव्य स्तर पर शरद पूर्णिमा उत्सव मनाया जाता है। उत्सव में मध्य रात्रि पश्चात हजारों लीटर दूध से बनी खीर को भक्त-भाविकों में बांटा जाता है। खीर रात्रि 9 बजे ही चन्द्रमा के खुले प्रकाश में झीणे कपड़े से ढककर रख दी जाती है। खीर में चांदी का बर्तन अथवा चम्मचे डालकर छोड़ा जाता है। शास्त्रों में वर्णन है कि पूर्ण रीति-नीति की पालना तथा औषधीय तत्वों का प्रयोग कर तीन घंटे शरद पूर्णिमा के चांद की छाया में रखी गोदूग्ध की खीर मानव जीवन को शांति, प्रसन्नता एवं सकारात्मक सोच से भर देती है। वहीं 32 से ज्यादा पित्त जनित बीमारियों से अचूक लाभ प्रदान करती है। नेत्र ज्योति के लिए इस रात्रि चन्द्रमा को निहारना एवं सुई को पिरोना अत्यन्त लाभकारी माना गया है। खीर किशमिश, बदाम , काजू, ईलायची, केसर, चावल, शक्कर एवं औषधीय पदार्थ डालकर वैद्यराज तथा परम्परागत अनुभवी पाक कला के वरिष्ठजनों द्वारा तैयार की जाती है। पूर्ण विधि से बनी खीर 32 प्रकार के रोगों का निवारण करती है तथा सकारात्मकता का खजाना है।

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