सीधी सट्ट बात : भाजपाइयों में सत्ता का नशा खुमारी मार रहा या संगठन में वर्चस्व के लिए आपस में लड़ रहे
अर्थ न्यूज. जालोर
बीजेपी जिस तरह राजस्थान में धमाकेदार जीत दर्ज कर रॉकेट की तरह उछाल भर कर सत्ता में आई थी, उससे कई ज्यादा तेजी से अब भाजपा की छवि नीचे गिर रही है। कारणों को जानने का प्रयास करे तो सबसे पहले एक ही कारण सामने आता है वह है स्वयं भाजपा। यानि भाजपा के पदाधिकारी स्वयं पार्टी की लुटिया डूबोने में लगे हुए हैं। जालोर जिले की बात ही कर लो। यहां जिला मुख्यालय से लेकर सांचौर के अंतिम छोर तक आपसी टकराव व वर्चस्व की लड़ाई चल रही है। इस सबमें आम जनता इनकी नोटंकी देखकर स्वयं को ठगा सा महसूस कर रही है। बड़ी उम्मीद और आशाओं के साथ लोगों ने भाजपा को वोट दिए थे। सत्ता में आने के बाद सत्ता का नशा कुछ इस कदर दिमाग में छाने लग गया कि उन्हें अच्छे-बूरे की कोई समझ तक नहीं रही। रही सही कसर संगठन में वर्चस्व की लड़ाई ने पूरी कर ली।
जालोर बना अखाड़ा, सभापति से लेकर विधायक तक बने पहलवान
जिला मुख्यालय की बात करे तो यहां तो भाजपा की सबसे बदत्तर हालत है। सभापति से लेकर विधायक तक यहां आपसी लड़ाई में इतने व्यस्त है कि जनता के काम-काज उन्हें नजर तक नहीं आ रहे। नगर परिषद में सभापति भंवरलाल माली और उप सभापति मंजू सोलंकी की लड़ाई, सभापति माली समेत कई भाजपा पार्षदों की आपसी लड़ाई, सभापति और विधायक की लड़ाई, सभापति और विधायक के पति बाबूलाल की लड़ाई ने जिला मुख्यालय पर भाजपा की ऐसी-तैसी कर रखी है। इतना ही नहीं वर्तमान विधायक व पूर्व विधायक गर्ग खेमा भी पूरी तरह अलग-थलग पड़ा हुआ है। विधायक अमृता भाजपा के साथ नगर मंडल के कुछ कार्यकर्ताओं के अलावा कोई नजर नहीं आता है, वहीं पूर्व विधायक गर्ग के साथ वरिष्ठ भाजपाई नजर आते हैं। सीधे एवं सरल व्यवहार के भाजपा जिलाध्यक्ष रविंद्रसिंह बालावत सब जानकार चुप है। जिला मुख्यालय पर भाजपा की यह फजीहत आने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा को भारी क्षति पहुंचाएगी। कांग्रेस पार्टी के लिए यह काफी फायदेमंद साबित होने वाला है।
सांचौर में शुरू हो गया भाजपा में बिखराव
सांचौर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का विधायक है। जहां पर भी भाजपा एक नहीं है। वहां पर भी भाजपा पदाधिकारी बीच चौराहे आकर लड़ रहे हैं। हाल ही में केसूरी मंडल अध्यक्ष समेत दो तीन अन्य भाजपा पदाधिकारियों ने चितलवाना प्रधान हनुमानाराम भादू व जिला प्रमुख बन्नेसिंह गोहिल पर कई तरह के गंभीर आरोप लगाए। पत्रकारों से वार्ता कर रायता पूरी तरह लोगों के बीच फैला दिया। गंभीर एवं परिपक्व नजर आने वाले जिला प्रमुख बन्नेसिंह गोहिल भी पूरी तरह फेल साबित हो रहे हैं। इनका खामियाजा आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ेगा।
भाजपा की पालिकाध्यक्ष को हटाया
सांचौर नगरपालिका अध्यक्ष को लेकर भी भाजपा की किरकिरी हुई। भाजपाइयों ने ही भाजपा की नगरपालिका अध्यक्ष को हटाया। उनका कहना था कि नगरपालिका अध्यक्ष निरंकुश हो गई थी। चलो मान लिया, अच्छा किया। निरंकुश शासक को हटाना बेहद जरूरी है। जालोर नगर परिषद में कुछ इसी तरह का शासन कर रहे परिषद सभापति भंवरलाल माली की निरंकुशता भाजपा को नजर नहीं आती। एसीबी में ट्रेप होकर जेल की हवा खाकर आने वाले को भाजपा निलंबित नहीं कर पाई और कोर्ट के स्टे से आज तक कुर्सी पर बैठा है। जालोर नगर परिषद में आम जनता आज बेहद दुखी है। भ्रष्टाचार चरम पर है। जिलाध्यक्ष से लेकर प्रदेश स्तर तक नगर परिषद की करतूतों को जानते हैं, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं। यह भाजपा की कौनसे सिद्धांत है।
ऊर्जा मंत्री को काले झंडे तक दिखाए गए
जालोर जिले के दौरे पर आए ऊर्जा मंत्री पुष्पेंद्रसिंह राणावत को रानीवाड़ा व सांचौर क्षेत्र में काले झंडे तक दिखाए गए। जिले के भाजपा पदाधिकारियों के लिए इससे ज्यादा शर्म की बात क्या होगी कि साढ़े चार के कार्यकाल में लोगों को वे संतुष्ट तक नहीं कर पाए और अब जब चुनाव नजदीक है तब लोगों का आक्रोश झेलना पड़ रहा है। ऐसे में यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि चुनाव के दौरान भाजपा को कितना बड़ा विरोध झेलना पड़ सकता है।
पार्टी की लुटिया डूब रही, अपने लोग ही तमाशा देख रहे
भाजपा के इन जनप्रतिनिधियों की इस तरह की करतूतों के कारण जिले में भाजपा की लुटिया डूबती नजर आ रही है। जिसका तमाशा भी भाजपा के ये पदाधिकारी ही देख रहे हैं। जिन्हें ना तो पार्टी की चिंता है और ना ही देश की। इन्हें तो अपने घर व अपनी जेब भरनी है। जनता की सेवा का दिखावा करने वाले ऐसे जनप्रतिनिधियों को भाजपा की लिस्ट से बाहर करने का साहस भाजपा को दिखाना होगा। अब भी समय है, सच्चे भाजपाई जागे, पार्टी के निष्पक्ष कार्यकर्ता जागे, ताकि पार्टी की गिरी हुई छवि दोबारा उठे सके। वरना परिणाम तो भुगतना ही पड़ेगा……… सीधी सट्ट बात।