रोटा वायरस नियमित टीकाकरण में होगा शामिल, बच्चों को दस्त से मिलेगी मुक्ति
जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन
अर्थन्यूज नेटवर्क. जालोर
प्रदेश में दस्त से होने वाली शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से नियमित टीकाकरण कार्यक्रम में रोटा वायरस वैक्सीन शामिल किया गया है। मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रेल के प्रथम सप्ताह तक बच्चों को रोटा वायरस वैक्सीन का स्वाद चखने को मिलेगा।
बुधवार को जिला मुख्यालय पर स्वास्थ्य भवन में हुई जिला स्तरीय कार्यशाला में डॉ. भरत टेलर तथा जॉन स्नो इण्डिया के लोकेश शर्मा ने रोटा वायरस वैक्सीन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रोटा वायरस अत्यधिक संक्रामक वायरस है और बच्चे के दस्त लगने का सबसे बड़ा कारक है। इससे कई बार दस्त लगने पर बच्चों को अस्पताल में भी करवाना पड़ता हैं और इलाज के अभाव में बच्चों की मौत तक हो सकती है। इलाज नहीं मिलने पर बच्चे के शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है। वर्तमान में देश के हिमाचल प्रदेश, उडीसा, हरियाणा और आंध्रप्रदेश में यह वैक्सीन नियमित टीकाकरण में शामिल है। देश में पांच साल तक के बच्चों की मृत्यु दर में से 13 प्रतिशत बच्चों की डायरिया से मौत होती हैं एवं 40 प्रतिशत बच्चों को दस्त होने के कारण चिकित्सालय में भर्ती कर उपचार की आवश्यकता होती है।
कार्यशाला में आरसीएचओ डॉ. डीसी पुन्सल, उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसके. चौहान, यूनिसेफ के प्रतिनिधि डॉ. गिरिश माथुर, जिला नोडल अधिकारी अंकिता गोस्वामी, जिला आईईसी समन्वयक कमल गहलोत, जिला आशा समन्वयक विकास आचार्य और सभी खण्ड मुख्य चिकित्सा अधिकारी व विभिन्न पीएचसी सीएचसी प्रभारी मौजूद थे।
ड्रॉप के रूप में दिया जाएगा
पोलियो वैक्सीन की तरह ये वैक्सीन भी बच्चों को 6, 10 और 14 सप्ताह की आयु पर दी जाएगी। एक बार में आधा मिली वैक्सीन पांच बूदों में दी जाएगी। दस डोज युक्त गुलाबी रंग की वैक्सीन वायल को खोलने के बाद चार घंटे में पूर्ण उपयोग करना होगा और बची वैक्सीन को नियमानुसार नष्ट किया जाएगा।
निशुल्क मिलेगी वैक्सीन
आरसीएचओ डॉ. डीसी पुन्सल ने बताया कि कई निजी चिकित्सालयों व चिकित्सकों द्वारा ये टीका पहले से दिया जा रहा है, जिसकी कीमत प्रति डोज लगभग एक हजार 500 रूपये तक ली जाती है। पेंटावेलेंट टीके तरह ये वीआईपी माना जाने वालो टीका आमज को बिल्कुल निशुल्क मिलेगा। विश्व स्वास्थ्य संगठन, जॉन स्नो इण्डिया, बिल गेट्स फाउण्डेशन सहित अन्य संस्थाएं इसके लिए योगदान दे रही है।