शरद पूर्णिमा : ऐसे करें चन्द्रमा की आराधना
भारतीय महीना आश्विन की पूर्णिमा को पूरे साल की सबसे उत्तम पूर्णिमा माना गया है और शरद पूर्णिमा भी कहते है। इस बार में १५ अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है। इस दिन चंद्रमा का पूजन करना लाभ देता है।
शरद पूर्णिमा के दिन की प्रक्रिया
शरद पूर्णिमा को ब्रह्ममुहुर्त में ही उठें। बाद में नित्यकर्म से निवृत्त होकर स्नान कर लें। स्वच्छ कपड़े पहनकर आराध्य देव को स्नान करवाकर सुन्दर वस्त्र और आभूषणों से सुशोभिक करें। बाद में उन्हें आसन दें यानि विराजित करें। अंब, आचमन, वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, ताम्बूल, सुपारी, दक्षिणा आदि से उनका पूजन करें। साथ गाय के दूध से बनी खीर में घी तथा शक्कर मिलाकर अद्र्ध रात्रि को भगवान को भोग लगाएं। व्रत रखें तथा तिलक करने के बाद गेहूं के 13 दाने हाथ में लेकर कथा सुनें। गेहूं के गिलास पर हाथ फेरकर मिश्राणी के पांव का स्पर्श करके गेहूं का गिलास उन्हें दे दें। अंत में लोटे के जल से रात में चंद्रमा को अर्घ्य दें। श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित करें और रात्रि जागरण कर भजन कीर्तन भी करें। चांद की रोशनी में सुई में धागा अवश्य पिरोएं। निरोगी रहने के लिए पूर्ण चंद्रमा जब आकाश के मध्य में स्थित हो, तब उसका पूजन करें। रात को ही खीर से भरी थाली खुली चांदनी में रख दें। दूसरे दिन सबको उसका प्रसाद दें तथा स्वयं भी ग्रहण करें।
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