महाभारत में 18 दिन के युद्ध में सिर्फ 18 योद्धा ही जीवित बचे थे, पढ़े ऐसे और 10 रहस्य…
महाभारत हिन्दुओं का प्रमुख ग्रंथ है जिसमें कौरवो और पाड़वो की कथा का वर्णन है। इसे हिन्दू धर्म का पांचवा वेद भी माना जाता है। आप ये जान कर हैरान रह जाएंगे कि युद्ध के बाद महाभारत शुरू हुई थी, जिसमें छिपे रहस्य के आस-पास भी हम नहीं पहुंच पाए हैं. आज हम उन रहस्यों को आपके सामने पेश कर रहे हैं, जिनके बारे में आपने कभी सुना भी नहीं होगा।
1. 18 दिन के इस युद्ध में 18 योद्धा ही जीवित बचे थे
महाभारत का युद्ध 18 दिनों तक चला था, इस किताब के 18 अध्याय हैं, श्री कृष्ण ने अर्जुन को 18 दिनों तक गीता का ज्ञान दिया था. गीता में भी 18 अध्याय हैं। कौरवों और पांडवों की कुल सेना 18 अक्षोहिनी थी, और इस युद्ध में मात्र 18 योद्धा ही जीवित बचे थे। ये 18 के आंकड़ों के पीछे का राज़ आज तक कोई नहीं समझ पाया है।
2. अश्वत्थामा हतोहत: का राज
गुरू द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को श्री कृष्ण ने अमरता का श्राप दिया था, क्योंकि उसने युद्ध के दौरान ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया था. अश्वत्थामा के इस काम से कृष्ण क्रोधित हो गए थे और उन्होंने अश्वत्थामा को श्राप दिया था कि ‘तू इतने वधों का पाप ढोता हुआ तीन हज़ार वर्ष तक निर्जन स्थानों में भटकेगा. तेरे शरीर से सदैव रक्त की दुर्गंध आती रहेगी, तू बहुत-सी बीमारियों से पीड़ित रहेगा’। आज भी कई जगहों पर अश्वत्थामा के देखे जाने की बात कही जाती है. अब इन बातों में कितनी सच्चाई है इसका अंदाज़ा हम लगा भी नहीं सकते।
3. कौरवों का जन्म एक रहस्य
धृतराष्ट्र और गांधारी के 99 पुत्र और एक पुत्री थी, जिन्हें कौरव कहा जाता था। कुरु वंश के होने के कारण ये कौरव कहलाए. लेकिन गांधारी के गर्भ धारण के दौरान धृतराष्ट्र ने एक दासी के साथ संबन्ध बनाए जिससे कौरवों की संख्?ा 100 हुई थी. गांधारी ने वेदव्यास से पुत्री के लिए वरदान हासिल किया, मगर गांधारी के कोई भी बच्चा नहीं हुआ. गुस्से से भरी गांधारी ने अपने पेट पर जोर से मुक्का मार लिया जिससे उसका गर्भ गिर गया. जैसे ही वेदव्यास को इस बात का पता चला उन्होंने फ़ौरन गांधारी को 100 कुएं खुदवाने को कहा, जिसमें उन्होंने घी भरवा कर मर हुए बच्चे का अवशेष उसमे डाल दिया, जिससे कौरवों का जन्म हुआ था।
4. भगवान कृष्ण ने इसलिए बर्बरीक का मांगा था शीश
भीम के पौत्र बर्बरीक का ये वचन था कि वो हारे हुए पक्ष से लड़ेगा. बर्बरीक के लिए तीन बाण ही काफी थे जिसके बल पर वे कौरव और पांडवों की पूरी सेना को समाप्त कर सकते थे. यह जान कर भगवान कृष्ण ब्राह्मण का रूप लेकर उनके सामने गए और दान में उनका शीश मांग लिया। शीश दान करने के बाद बर्बरीक ने कृष्ण से प्रार्थना की कि वे अंत तक युद्ध देखना चाहते हैं, तब कृष्ण ने उनकी यह बात मान ली। भगवान ने उस शीश को अमृत से नहलाकर सबसे ऊंची जगह पर रख दिया ताकि वे महाभारत का युद्ध देख सकें।
5. विमान और परमाणु शस्त्र
मोहन जोदड़ो की खुदाई में मिले कंकाल में रेडिएशन का असर मिला था, जिसे लोग महाभारत से जोड़ के देखते हैं. कहा जाता है कि महाभारत काल में परमाणु बम थे. महाभारत में सौप्तिक पर्व के अध्याय 13 से 15 तक ब्रह्मास्त्र के परिणाम बताए गए हैं। हिंदू इतिहास के जानकारों के मुताबिक 3 नवंबर 5561 ईसा-पूर्व अश्वत्थामा के ज़रिए छोड़ा हुआ ब्रह्मास्त्र परमाणु बम ही था।
6. ज्योतिष का आधार राशियां नहीं थी
महाभारत काल में ज्योतिष, राशियों के आधार पर कुछ नहीं बताते थे, क्योंकि उस वक्त राशियां नहीं थीं. ग्रह और नक्षत्रों द्वारा इस काम को किया जाता था।
7. विदेशी भी शामिल हुए थे लड़ाई में
महाभारत के युद्ध में सिर्फ़ भारत के ही नहीं बल्कि विदेशी योद्धा भी शामिल हुए थे. एक ओर जहां यवन देश की सेना ने युद्ध में भाग लिया था, वहीं दूसरी ओर ग्रीक, रोमन, अमेरिका, मेसिडोनियन आदि योद्धाओं के लड़ाई में शामिल होने का प्रसंग आता है. इस आधार पर यह माना जाता है कि महाभारत विश्व का ‘प्रथम विश्व युद्ध’ था।
8. महाभारत लिखने का रहस्य
ज़्यादातर लोग यह जानते हैं कि महाभारत को वेदव्यास ने लिखा है लेकिन यह अधूरा सच है. वेदव्यास कोई नाम नहीं, बल्कि एक उपाधि थी, जो वेदों का ज्ञान रखने वाले लोगों को दी जाती थी. महाभारत की रचना 28वें वेदव्यास कृष्णद्वैपायन ने की थी, इससे पहले 27 वेदव्यास हो चुके थे।
9. अभिमन्यु को किसने मारा था?
लोग यह जानते हैं कि अभिमन्यु की हत्या चक्रव्यूह में सात महारथियों द्वारा की गई थी, लेकिन यह सच नहीं है. महाभारत के मुताबिक, अभिमन्यु ने बहादुरी से लड़ते हुए चक्रव्यूह में मौजूद सात में से एक महारथी (दुर्योधन के बेटे) को मार गिराया था. इससे नाराज़ होकर दुशासन के बेटे ने अभिमन्यु की हत्या कर दी थी।
10. तीन चरणों में लिखी महाभारत
महाभारत एक किताब है लेकिन इसे तीन चरणों में लिखा गया था. पहले चरण में 8,800 श्लोक, दूसरे चरण में 24,000 और तीसरे चरण में 1,00,000 श्लोक लिखे गए थे. वेदव्यास की महाभारत के अलावा भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट, पुणे की संस्कृत महाभारत सबसे प्रामाणिक मानी जाती है।
साभार – विभिन्न हिन्दी बेव चैनल और बेवदुनिया..