रिमिटेंस: विदेशियों द्वारा भेजे गए पैसे की पूरी गाइड

जब बात रिमिटेंस, विदेश में रहने वाले व्यक्तियों से भारत में आर्थिक सहायता भेजने की प्रक्रिया की होती है, तो कई सवाल दिमाग में आते हैं। इसे अक्सर विदेशी धन भेजना भी कहा जाता है, लेकिन असली मतलब सिर्फ पैसा नहीं, बल्कि रिश्ते, जिम्मेदारियाँ और कभी‑कभी कर‑दायित्व भी होते हैं।

पहला बड़ा खिलाड़ी है NRI, नॉन‑रेज़िडेंट इंडियन, जो विदेश में काम या पढ़ाई कर रहे होते हैं। उनका रिमिटेंस भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का प्रमुख स्रोत है और अक्सर सालाना कुल रिमिटेंस का 10‑15 % हिस्सा बनाता है। NRI के पास दो विकल्प होते हैं: बैंक खाता के जरिए सीधे ट्रांसफर या एजेंट‑आधारित सेवा जैसे वेस्टर्न यूनियन।

रिमिटेंस की एक और भाईचारा है विदेशी मुद्रा, फॉरेन एक्सचेंज मार्केट जहाँ INR के बदले USD, EUR, GBP आदि का लेन‑देन होता है। विदेशी मुद्रा नियम रिमिटेंस की गति और लागत तय करते हैं; रेज़र्व बैंक का अनुमोदन और डीएलआर (डायरेक्ट लिस्टिंग रूल) दोनों को मिलाकर ही राशि भारत आती है। इस नियम के कारण अक्सर बैंक ट्रांसफर, वायर या SWIFT सिस्टम के जरिए अंतरराष्ट्रीय पैसा भेजना सबसे भरोसेमंद माना जाता है।

डिजिटल युग में रिमिटेंस के नए रास्ते

तकनीक ने रिमिटेंस को तेज़ और सस्ता बना दिया है। डिजिटल वॉलेट, पेमेंट ऐप्स जैसे Paytm, Google Pay, और PhonePe जो सीधे अंतरराष्ट्रीय कार्ड को लिंक कर सकते हैं अब छोटे‑छोटे रेमिटेंस को भी मिनटों में भेजने की सुविधा देते हैं। इनके उपयोग में दो मुख्य बातें हैं: लेन‑देन की सीमा और सुरक्षा मानक। अधिकांश डिजिटल वॉलेट KYC (नॉलेज योर कस्टमर) प्रक्रिया के बाद ही विदेशी खाते जोड़ते हैं, जिससे हर ट्रांसफर को ट्रैक करना आसान हो जाता है।

रिमिटेंस का भुगतान शुल्क भी अब कई विकल्पों में बांटा गया है। पारंपरिक बैंक में औसत शुल्क 1‑2 % के आसपास रहता है, जबकि डिजिटल वॉलेट अक्सर प्रोमोशन या फिक्स्ड चार्ज के रूप में 0‑0.5 % तक घटाते हैं। इस तरह का अंतर छोटे कामगारों या छात्रों के लिए बड़ा बदलाव लाता है, क्योंकि वे अपनी पूरी कमाई परिवार को भेज सकते हैं।

ध्यान देने योग्य बात है कि रिमिटेंस के समय कर‑दायित्व भी जुड़ा रहता है। यदि राशि वार्षिक सीमा से अधिक है, तो आयकर अधिनियम के तहत टैक्स रिटर्न फाइल करना अनिवार्य हो जाता है। लेकिन कई मामलों में यह टैक्स‑फ़्री भी हो सकता है, खासकर यदि पैसा शिक्षा या स्वास्थ्य खर्च के लिए भेजा गया हो और संबंधित दस्तावेज़ उपलब्ध हों।

रिमिटेंस की प्रभावशाली भूमिका को समझने के लिए भारत की आर्थिक आँकड़े देखिए। RBI के आंकड़ों के अनुसार, 2023‑24 में कुल रिमिटेंस लगभग 3 ट्रिलियन रुपये पहुंची, जो GDP का 4 % से अधिक है। इस पूँजी प्रवाह ने ग्रामीण विकास, नवीनीकरणीय ऊर्जा, और स्टार्ट‑अप फंडिंग में मदद की है। इसलिए रिमिटेंस केवल व्यक्तिगत मदद नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आर्थिक स्थिरता भी बनाता है।

अब आप सोच रहे होंगे कि सही तरीका कौन‑सा चुनें। यदि बड़ी राशि, कम शुल्क और भरोसेमंद ट्रैकिंग चाहते हैं, तो बैंक ट्रांसफर सबसे बेहतर है। यदि आप त्वरित और छोटे लेन‑देन चाहते हैं, तो डिजिटल वॉलेट आपके लिए सही विकल्प है। हर केस में ये बात याद रखें कि नियामक निर्देश और कॉस्ट संरचना दोनों को पहले देखना जरूरी है, ताकि आप बिना झंझट के अपना पैसा भेज सकें।

आगे की सूची में आपको रिमिटेंस से जुड़ी विभिन्न कहानियां, सफल उदाहरण और कुछ महत्वपूर्ण टिप्स मिलेंगे, जो आपके अगले ट्रांसफ़र को आसान और सुरक्षित बना देंगे। चलिए अब इन लेखों की दुनिया में उतरते हैं।

15अक्तू॰

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के द्वारा प्रकाशित किया गया मयंक वर्मा इंच समाचार और मीडिया
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