बेकारता: क्यों कुछ लेख पढ़ने लायक नहीं लगते और उन्हें कैसे सुधारे

कभी किसी लेख को पढ़कर लगा कि इसमें ठोस बात कम और शब्दों का जमाव ज्यादा है? वेबसाइट पर "बेकारता" टैग ऐसे ही पोस्ट्स के लिए रखा गया है — वो लेख जो पाठक को कुछ नया या काम का नहीं देते। आइए सीधे कारण जानें और सरल उपाय देखें जिससे लेख तुरंत बेहतर बन सके।

क्यों एक लेख बेकार लगता है

सबसे पहले, कारण साफ होने चाहिए। अक्सर लेख बेकार इसलिए लगते हैं क्योंकि वे अस्पष्ट दावे करते हैं, स्रोत नहीं देते, या शीर्षक और अंदर की बात मेल नहीं खाते। कभी-कभी लेख केवल व्यक्तिगत राय का बिना समर्थन वाला संग्रह होते हैं।

दूसरी वजह होती है भाषा और संरचना। लंबे वाक्य, बार-बार वही बात दोहराना, और बिना पैराग्राफ के बड़े ब्लॉक पढ़ने में थकान देते हैं। पढ़ने वाले को जल्दी समझ में नहीं आता कि मुख्य बात क्या है।

तीसरी समस्या कीवर्ड और शीर्षक का गलत इस्तेमाल है। गलत या खाली कीवर्ड से खोज में लेख नहीं मिलता और उपयोगी पाठक तक पहुंच नहीं पाता। कभी-कभी लेख के अंदर कीवर्ड ही नहीं होते या फिर बिलकुल असंबंधित होते हैं।

आखिर में, संदर्भ और तथ्यहीन जानकारी। बिना स्रोत के गंभीर दावे करना भरोसा तोड़ता है। कुछ पोस्ट्स में सेट की गई बातें निजी विचार या अनुमान लगते हैं, जिससे पाठक भ्रमित हो जाता है।

सरल, तुरंत लागू होने वाले सुधार

रचना से शुरू करें: एक साफ हेडलाइन लिखें जो पढ़ने वाले को बताये कि लेख किस बारे में है। हेडलाइन में मुख्य शब्द रखें पर clickbait से बचें।

पैराग्राफ छोटे रखें — हर पैराग्राफ में एक ही बात रखें। पहले वाक्य में मुख्य बात कहें, फिर जरुरत पड़ने पर उदाहरण या आंकड़ा दें।

स्रोत डालें: अगर कोई तथ्य, आँकड़ा या उद्धरण है तो स्रोत जरूर दें। इससे लेख की विश्वसनीयता बढ़ती है और पाठक को आगे पढ़ने का रास्ता मिलता है।

कीवर्ड और मेटा डाटा पर ध्यान दें। सही कीवर्ड चुनें और उन्हें प्राकृतिक तरीके से लेख में शामिल करें। मेटा विवरण छोटा, स्पष्ट और आकर्षक रखें ताकि खोज परिणाम में क्लिक बढ़े।

संपादन कराएं: लेख लिखने के बाद 10–15 मिनट छोड़कर फिर पढ़ें। गैरजरूरी वाक्य हटाएं, दोहराव मिटाएं और भाषा साफ रखें। अगर संभव हो तो किसी और से भी पढ़वा लें। ताज़ा नजर छोटी गलतियाँ पकड़ लेती है।

पाठक से पूछें: अगर आप लेखक हैं तो कमेंट में पूछें कि पाठक किस जानकारी की उम्मीद रखते थे। प्रतिक्रिया मिलने पर लेख में सुधार करके उसे उपयोगी बनाना आसान हो जाता है।

यदि आपने कोई लेख देखा है जो बेकार लगता है, आप साइट पर सुझाव भेज सकते हैं या टिप्पणी में सुधार का अनुरोध कर सकते हैं। छोटे बदलाव — स्पष्ट हेडलाइन, सटीक तथ्य और स्रोत — किसी भी लेख को पढ़ने लायक बना देते हैं।

31जुल॰

भारतीय समाचार चैनल पूरी तरह से बेकार क्यों हैं?

के द्वारा प्रकाशित किया गया मयंक वर्मा इंच समाचार और मीडिया समीक्षा
भारतीय समाचार चैनल पूरी तरह से बेकार क्यों हैं?

अरे यार, भारतीय समाचार चैनलों को देखकर तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ये चैनल तो बदले हुए मौसम की तरह होते हैं, अगला क्या होगा कोई नहीं बता सकता। कभी तो लगता है ये चैनल खुद को 'ब्रेकिंग न्यूज़' की दुकान समझते हैं, हर पल नई खबर देने की होड़ लगी रहती है। वो भी बिना तथ्यों की जांच किए। और ये चैनल तो खेल के मैदान को भी अक्सर रणभूमि समझ बैठते हैं, क्रिकेट से लेकर बैडमिंटन तक सब कुछ होता है 'जीवन संग्राम'। हाँ भाई, ये सब देखकर तो लगता है की हमारे भारतीय समाचार चैनल काफी बेकार चल रहे हैं।

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