IND vs ENG Day 4: इंग्लैंड 21/0 पर, 371 का पीछा—हेडिंग्ले टेस्ट निर्णायक मोड़ पर

/ द्वारा मयंक वर्मा / 0 टिप्पणी(s)
IND vs ENG Day 4: इंग्लैंड 21/0 पर, 371 का पीछा—हेडिंग्ले टेस्ट निर्णायक मोड़ पर

मैच की स्थिति: दिन-4 के बाद तस्वीर

हेडिंग्ले की ठंडी हवा, चौथी पारी और सामने 371 का पहाड़। स्कोरबोर्ड पर 21 बिना नुकसान। यही है दिन-4 के बाद की सबसे सटीक तस्वीर। IND vs ENG का यह पहला टेस्ट उस बिंदु पर पहुंच चुका है जहां एक सत्र का खेल पूरे नतीजे को पलट सकता है। इंग्लैंड के पास दस विकेट बचे हैं और समय भी। भारत के पास गेंद हाथ में है, दबाव भी, और पिछले दो घंटे की बेअसर कोशिश का हिसाब चुकता करने का मौका भी।

भारत ने दूसरी पारी 364 पर समेटकर इंग्लैंड को 371 का लक्ष्य दिया। यह लक्ष्य चौथी पारी के हिसाब से भारी है, पर हेडिंग्ले का इतिहास याद दिलाता है कि यहां असंभव जैसी चीजें भी हो चुकी हैं। 2019 में इंग्लैंड ने 359 का पीछा कर ऑस्ट्रेलिया को हराया था। हां, वह मैच अलग परिस्थितियों में था, लेकिन यह तथ्य ड्रेसिंग रूम में आत्मविश्वास का काम करता है।

भारतीय बल्लेबाजी की धुरी रहे रिषभ पंत और केएल राहुल। दोनों ने मिलकर 195 रन जोड़े और मैच की दिशा भारत की ओर मोड़ दी। पंत ने इस टेस्ट में दूसरा शतक जड़कर इतिहास रचा—एशियाई विकेटकीपर के तौर पर एक ही टेस्ट में दो शतक, यह दुर्लभ है और दबाव में खेलने के उनके अंदाज को फिर साबित करता है। राहुल ने तकनीक और धैर्य से खेल को पकड़े रखा। उनके सात चौके, खासकर कवर ड्राइव्स, बताते हैं कि सिचुएशन कितनी भी तंग हो, सही शॉट चयन आपको रास्ता दे सकता है।

सबकुछ पटरी पर लग रहा था, 333 पर चार विकेट, और फिर आखिरी सत्र में अचानक ब्रेक लगा—भारत के अगले छह विकेट 37 पर गिर गए। इंग्लैंड के सीमरों ने नई और पुरानी गेंद दोनों से टेंपो बदल दिया। लेंथ सटीक हुई, एंगल बदला, और स्लिप-कॉर्डन जीवंत हो गई। भारत 400 से ऊपर की लीड की ओर बढ़ रहा था, पर 364 पर समेटा गया। यही वह खिड़की थी, जहां इंग्लैंड ने वापसी की सांस ली।

लक्ष्य के जवाब में इंग्लैंड के ओपनरों ने काम आसान नहीं होने दिया। जैक क्रॉली और बेन डकेट ने बिना जोखिम के ओवर निकाले, ढीली गेंदों को सीधा बाउंड्री तक पहुंचाया, बाकी गेंदों को शरीर के पास खेला। स्टंप्स तक 21 बिना नुकसान, और भारत के लिए गेंदबाजी में वह चुभन कि शुरुआती दरार नहीं पड़ी। मोहम्मद सिराज ने नई गेंद से एटैक की शुरुआत की, पर एक ओवर में लगातार दो चौके क्रॉली ने दबाव कम किया। रवींद्र जडेजा को जल्दी लाया गया, टेम्पो तोड़ा गया, पर स्पिन से अभी तक कोई बड़ा रहस्य नहीं निकला।

अब तस्वीर साफ है—371 और दस विकेट। इंग्लैंड के पास पूरे दिन का खेल। भारत के पास बुमराह की धार, सिराज की ऊर्जा और जडेजा की सटीकता। पिच की सतह पर हल्की दरारें हैं, उछाल पूरी तरह टूट नहीं रही, पर रफ पैच बढ़ गए हैं। अगर सुबह बादल छाए, तो सीमर्स को हवा में मदद मिल सकती है। अगर धूप निकले, तो बैटिंग आसान दिखेगी, पर उल्टी स्विंग दो सत्र बाद खेल बिगाड़ सकती है।

दिन-5 की कुंजी: इंग्लैंड का पीछा, भारत की उम्मीदें

दिन-5 की कुंजी: इंग्लैंड का पीछा, भारत की उम्मीदें

चौथी पारी की बड़ी चेज़ का फॉर्मूला साधारण दिखता है—विकेट बचाओ और स्कोरबोर्ड चलाओ। चुनौती यह है कि टेस्ट का पांचवां दिन अक्सर गेंद को बढ़त देता है। हेडिंग्ले पर पिछली बड़ी चेज़ की याद इंग्लैंड को हौसला देगी, पर 371 उससे भी बड़ा नंबर है। यहां रणनीति और सत्र-वार माइक्रो टारगेट्स खेल का केंद्र होंगे।

सुबह का पहला घंटा इस मैच की नस है। नई गेंद अभी ताजा है और सीम पर चमक बनी हुई है। भारत की योजना साफ होनी चाहिए—ऑफ-स्टंप के बाहर चौकन्ना, लेंथ फुल से गुड लेंथ के बीच, स्टंप पर आक्रमण, और स्लिप-गली भरपूर। क्रॉली शुरू में काउंटर-पंच करते हैं, तो उनकी ताकत पर गेंदबाजी लाइनें न फेंकी जाएं। डकेट को पैड पर बांधना और जडेजा से उनके पैरों के बाहर रफ निशाना बनाना काम आ सकता है।

भारत के लिए बुमराह का स्पेल मैच-टेम्पलेट तय करेगा। पहली पारी के पांच विकेट से उनका रिद्म साफ है। अगर वे शुरुआती घंटे में एंगल बदलते रहें—राउंड द विकेट बनाम ओवर द विकेट—तो रैप्ड-पैड अपीलें और एजेस दोनों मिल सकते हैं। सिराज की भूमिका दबाव कायम रखने की है, शॉर्ट-पिच सरप्राइज के बजाय टेस्ट लेंथ पर टिके रहना ज्यादा फायदेमंद होगा। 25-30 ओवर के बाद रिवर्स स्विंग की खिड़की खुले, तो दोनों छोर से सीमरों को ओवरलैपिंग स्पेल देना समझदारी होगी।

स्पिन की बारी कब? अगर सुबह पिच से तेजी दिखे तो जडेजा को बदल-बदल कर छोटे स्पेल दिए जाएं, ताकि लेंथ न बिखरे। लंच के बाद, जैसे-जैसे रफ बढ़ेगा, जडेजा मिडल-ऑफ पर राउंड द विकेट आकर बाएं हाथ के बल्लेबाज के खिलाफ गेंद को पिच के फटे हिस्से पर गिरा सकते हैं। स्लिप, लेग-स्लिप और शॉर्ट लेग जैसे कैचिंग पोजिशन यहां निर्णायक होंगे।

इंग्लैंड के नजरिये से खेल की साझेदारियां सबकुछ हैं। 50-50 के छोटे टारगेट बनें, स्ट्राइक रोटेट हो और गेंद ढीली मिले तो पूरा शॉट। क्रॉली को कवर-पॉइंट के बीच गेप मिल सकता है, डकेट स्क्वायर पर तेज स्कोर कर सकते हैं। लेकिन टेस्ट की चौथी पारी में खूबसूरत शॉट से ज्यादा खराब गेंद का इंतजार जरूरी है। बड़े-बड़े नाम ड्रेसिंग रूम में बैठे हैं, पर उन्हें तभी मायने जब ऊपर से ठोस नींव मिले।

जरूरी आंकड़े खेल की दिशा समझाते हैं:

  • लक्ष्य 371—हेडिंग्ले में सफल चेज़ का उच्च-जलस्तर 359 रहा है, यानी इंग्लैंड को रिकॉर्ड के पार जाना होगा।
  • स्टार्ट 21/0—बिना शुरुआती विकेट के रात गुजारना इंग्लैंड के आत्मविश्वास के लिए बड़ा प्लस है।
  • भारत का स्लाइड 6 विकेट 37 रन—यह बताता है कि पिच पर जैसे-जैसे गेंद पुरानी हुई, नियंत्रण टूट सकता है; वही उम्मीद भारत गेंद से लगाएगा।
  • रिषभ पंत के दो शतक—मोमेंटम बिल्ड करने में उनकी पारी निर्णायक रही; मनोवैज्ञानिक बढ़त भारत को यहीं से मिली।
  • जसप्रीत बुमराह की पहली पारी की फाइव-फर—दिन-5 पर उनका पहला स्पेल मैच की धुरी हो सकता है।

दिन-5 के मैनेजमेंट की बात करें तो भारत को ओवर-रेट और फील्ड-सेटिंग दोनों पर चुस्त रहना होगा। लंबे स्पेल थकान लाते हैं, इसलिए छोटे पर तीखे स्पेल, आक्रामक फील्ड के साथ, बेहतर काम करेंगे। कैचिंग पोजिशन्स में चूक की गुंजाइश नहीं है—स्लिप में कमर ऊंची, हाथ नरम, रिएक्शन तेज।

अंपायर की भूमिका भी अहम होगी। रिव्यू का इस्तेमाल भावनाओं पर नहीं, गेंद-ट्रैकर और पैड-इम्पैक्ट की समझ पर हो। चौथी पारी में लेट मूवमेंट आंखों को धोखा देती है, इसलिए कीपर और स्लिप की कॉल्स स्पष्ट रहें। जडेजा के खिलाफ डकेट जैसे बल्लेबाज पैड आगे रखेंगे—भारत को बेवजह का अपील-खर्च नहीं करना चाहिए।

इंग्लैंड के लिए खतरा कहां है? जैसे ही गेंद 25 ओवर पार करेगी, रिवर्स स्विंग की संभावना बढ़ेगी। मिडल-ऑर्डर के लिए इन-डिपर और आउट-डिपर अचानक लकीर बिगाड़ देते हैं। आगे की ओर गिरता हुआ फ्रंट-फुट, बैट-पैड गैप और लो-हैंड्स—यहीं एज या एलबी निकलते हैं। अगर इंग्लैंड ने लंच तक एक-दो विकेट गंवाए और रन-रेट भी थमा, तो दबाव शाम तक दोगुना हो जाएगा।

और भारत किन जालों से बचे? ओवर-एटैक का लालच। अगर लगातार फुल गेंदें डालेंगे तो ड्राइव के जरिए चौके लीक होंगे। लेंथ ही सबकुछ है—गुड लेंथ से गेंद ऊपर-नीचे खेलेगी, और वहीं गलती निकलेगी। स्पिन के खिलाफ स्लॉग-ट्रैप लगाने से पहले कवर और मिड-विकेट पर रन रोकना जरूरी है, ताकि बल्लेबाज हवा में न जाए।

मानसिक खेल पर एक नजर। इंग्लैंड जानता है कि 2019 की स्क्रिप्ट सबको याद है—यह आत्मविश्वास है, पर साथ ही दबाव भी। भारत जानता है कि स्कोरबोर्ड बड़ा है—यह कुशन है, पर ढील देने का बहाना नहीं। पहली एक-दो विकेट यहां टोन सेट करेंगी। अगर भारत ने 30-35 के अंदर दो विकेट समेट लिए, तो मैच एक झटके में भारत की मुट्ठी में आ सकता है। उलट, इंग्लैंड ने 80-90 तक बिना नुकसान पहुंचा दिया, तो आखिरी दो सत्रों में खेल भारत के लिए फिसलन भरा होगा।

पिच पर व्यवहार अभी तक निष्पक्ष है—नई गेंद सीम करेगी, पुरानी गेंद रिवर्स की तरफ झुकेगी, और स्पिन का असर रफ से होगा। आउटफील्ड तेज है, तो गैप्स मिलते ही बाउंड्री निकलेंगी। मौसम अगर बादलों की चादर ओढ़े तो सीमर्स का दिन, अगर साफ निकला तो बल्लेबाजों का धैर्य असली हथियार होगा।

इस मैच में अब तक दोनों टीमों ने अपनी-अपनी ताकत दिखाई है—भारत की पहली पारी में बुमराह की धार और दूसरी पारी में पंत-राहुल का क्लास; इंग्लैंड का आखिरी सत्र का उभार और ओपनरों की सतर्क शुरुआत। स्कोरकार्ड के पीछे जो कहानी चल रही है, वह साफ है—छोटे-छोटे मोमेंट्स का जोड़ ही नतीजा तय करेगा। दिन-5 के पहले घंटे से शुरू होकर हर 30 गेंद पर खेल की हवा बदलेगी। जो टीम इस हवा की दिशा पहले भांप ले, वह हेडिंग्ले की शाम को मुस्कुराएगी।

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