नगर परिषद आयुक्त भ्रष्टाचार को खुलकर दे रहे थे अंजाम, आखिर कौन दे रहा था शह…
जालोर @ अर्थ न्यूज नेटवर्क
मुख्यमंत्री जनकल्याण शिविर के तहत पट्टा बनवाने की एवज में पचास हजार रुपए की रिश्वत लेते नगर परिषद आयुक्त त्रिकमदान चारण रंगे हाथों एसीबी के हत्थे चढ़े। इसके साथ ही एक भ्रष्ट अध्याय का अंत हो गया, लेकिन परिषद में पसरे इस भ्रष्ट तंत्र की जड़ें गहराई तक समाई हुई हैं। इस खेल को अंजाम देने एवं आयुक्त को बेखौफ बनाने में राजनीतिक आकाओं की शह रही है। यह वहीं आयुक्त है जिसको पार्षदों की शिकायत पर एपीओ किया गया था, लेकिन सभापति भंवरलाल माली और विधायक अमृता मेघवाल ने ना केवल मीडिया के सामने इनकी जमकर तरफदारी की थी, बल्कि स्वायत्त शासन विभाग को सिफारिशी पत्र भेजकर चारण को पुन: जालोर में पदास्थापित करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया था। आखिर सवाल उठ उठता है कि जनप्रतिनिधियों के लिए ऐसी क्या मजबूरी हो गई थी कि वे सगे सम्बंधियों की तरह इस भ्रष्ट आयुक्त की पैरवी करते नहीं थकते थे।
गौरतलब है कि गत अप्रेल माह में नगर परिषद के कुछ पार्षदों ने आयुक्त के व्यवहार एवं भ्रष्ट कार्यशैली को लेकर शिकायत की थी। जिस पर आयुक्त त्रिकमदान चारण को स्वायत्त शासन विभाग की ओर से एपीओ किया था। लेकिन इसके बाद राजनीतिक खींचतान शुरू हो गई। विधायक अमृता मेघवाल ने आयुक्त के पक्ष में कुछ पार्षदों को एकजुट कर उन्हें वापस जालोर में लगाने के लिए तुरूप का पत्ता फेंका। इतना ही नहीं उन्होंने स्वायत्त शासन विभाग को सिफारिशी पत्र भेजकर आयुक्त चारण को पुन: जालोर लगाने की अनुशंसा भी कर डाली। इस काम में सभापति भंवरलाल माली भी पीछे नहीं रहे। उन्होंने भी इस काम में दो कदम आगे बढ़ाए। उन्होंने विभाग को पत्र भेजकर आयुक्त की कार्यशैली और जनता से अच्छे व्यवहार का हवाला देकर उन्हें पुन: लगाने की पैरवी की थी। लेकिन सवाल यह उठता है कि सभापति भंवरलाल खुद भ्रष्ट कारनामों में लिप्त रहे हैं और उन्हें एसीबी ने रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था।
खरबूजा कटेगा, सब में बंटेगा
एक कहावत है खरबूजा कटेगा तो सब में बंटेगा। यह बात नगर परिषद पर एकदम सटीक बैठती है। इससे पहले 28 जनवरी 2014 लिपिक के तौर पर कार्यरत रतनसिंह को एसीबी टीम ने रिश्वत के मामले में पकड़ा था। वहीं 6 फरवरी 2014 को तत्कालीन अधिशासी अभियंता दीपक गुप्ता एक ठेकेदार से बिल पास करने की एवज में 20 हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार हो चुके हैं। इसके बाद सभापति भंवरलाल माली भी 19 अगस्त 2015 को ग्रेवल सड़क का बिल पास करने की एवज में 35 हजार रुपए की रिश्वत बिचौलिए की मार्फत लेते गिरफ्तार हो चुके हैं। अब 30 जुलाई 2017 को आयुक्त त्रिकमदान चारण पट्टा जारी करने की एवज में पचास हजार रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए हैं। मतलब साफ है परिषद में तमाम भ्रष्ट कारनामों को अंजाम देने के लिए एक चेन बनी हुई है। जिसमें वसूली कई से भी हो हिस्सा सब में बंटता है। इतना ही नहीं परिषद के दर्जनों मामलों में एसीबी जांच कर रही है।
पुन: पदास्थापित होने के बाद बेखौफ रहे आयुक्त
आयुक्त त्रिकमदान चारण एपीओ होने के बाद जब पुन: जालोर नगर परिषद में पदस्थापित हुए तो उनके तेवर ही बदल गए थे। वे इतने बेखौफ हो गए कि उन्हें यह लगने लग गया था कि जब सभापति और विधायक उनके साथ है तो भला कोई उनका क्या बिगाड़ सकता है। शहर में ऐसे कई निर्माण कार्य है जिनमें वेे उगाही के लिए लोगों को तंग करने से बाज नहीं आए। वहीं दूसरी तरफ पुलिस लाइन के सामने बन रहे अस्पताल में नियमों का खुला उल्लंघन हुआ। इस मामले में पार्किंग सेट बैक, व्यावसायिक संपरिवर्तन नहीं होने की शिकायत की गई थी। लेकिन बाद में आयुक्त ने कार्रवाई के बजाय इस मामले में चुप्पी साध ली। सूत्रों की मानें तो इसके लिए पर्दे की आड़ में रुपयों का खेल चला था।
भ्रष्टाचार का गढ़ है नगर परिषद
नगर परिषद में भ्रष्टाचार के सिर्फ वहीं मामले उजागर हो पाए हैं, जिनमें एसीबी ने कार्रवाई की। हकीकत तो यह है कि परिषद में सैकड़ों मामलों में गड़बड़झाला चल रहा है। गत साल फर्जी पट्टा प्रकरण में करीब डेढ़ फर्जी पट्टे होने की बात सामने आई थी। इस मामले में कुछ पार्षदों ने नामजद शिकायत दर्ज कराई थी। जिसके बाद एसीबी ने फाइल जब्त कर जांच शुरू की थी, लेकिन यह जांच अब तक ठंडे बस्ते में पड़ी है।