#Big Breaking# जालोर जिले के दो विधायकों सेे वसुंधरा ने रातों-रात छीनी विधायकी, सांसद पटेल से भी मांग सकते हैं इस्तिफा, जानिए कारण इस सबसे बड़े खुलासे को सबसे पहले

होली संवाददाता. जालोर

जालोर जिले के दो भाजपा विधायकों की कुर्सी मुख्यमंत्री वसुंधराराजे ने छीन ली है। उनसे रातों-रात त्यागपत्र लेकर उन्हें घर का रास्ता दिखा दिया है। इतने बड़े फैसले के पीछे का मुख्य कारण आगामी विधानसभा में जालोर की जनता की नाराजगी को दूर करना सामने आ रहा है। मुख्यमंत्री वसंधुरा राजे के अचानक हुए इस फैसले को लेकर जालोर समेत प्रदेश की राजनीति में भूकंप आ गया है। होली पर्व से पहले मुख्यमंत्री के रातों-रात लिए इस फैसले को कोई समझ नहीं पा रहा है।

जालोर विधायक जनता के पैसों की कर रही फिजूलखर्ची : विकास कार्य करवाने के बजाय जिला प्रमुख को दिलवा दी टाटा सफारी

इन विधायकों से लिया त्यागपत्र

जालोर विधायक अमृता मेघवाल तथा आहोर विधायक शंकरसिंह राजपुरोहित से खफा हुई मुख्यमंत्री वसुंधराराजे ने रातों-रात त्यागपत्र ले लिया है। इसके बाद अब उन्हें भाजपा की सदस्यता से भी निष्कासित कर दिया है। इन सबसे पीछे कई कारण सामने आए हैं। दोनों विधायकों को यह आशा तक नहीं थी कि वसुंधराराजे उनसे इस तरह त्यागपत्र ले सकती है। राजनीतिक सूत्रों के अनुसार दोनों विधायकों से इनके क्षेत्र की जनता की नाराजगी मुख्य वजह मानी जा रही है। दोनों विधायकों को रातों-रात हटाकर भाजपा आगामी विधानसभा चुनाव में जिले की जनता का दोबारा दिल जीतना चाह रही है। इधर, भाजपा जिलाध्यक्ष रविंद्रसिंह बालावत को अब तक इस मामले की भनक तक नहीं लगी है। हालांकि आहोर से भाजपा विधायक के रूप में रविंद्रसिंह बालावत को सामने प्रस्तुत किया जा सकता है।

अमृता मेघवाल को हटाने के पीछे कारण

जालोर विधायक अमृता मेघवाल से त्याग पत्र मांगने के पीछे का मुख्य कारण उनके पति बाबूलाल की ओर से विधायक के कार्यों में हस्तक्षेप करना सामने आया है। इसके अलावा विधानसभा क्षेत्र की अधिकांश जनता नाराज है। हाल ही में उनका एक ओर मामला सामने आया है जिसमें उन्होंने विधायक कोष से 14 लाख रुपए में जिला प्रमुख को टाटा सफारी लाने के लिए दिए। ऐसे में जनता जहां विकास के लिए तरस रही है वहीं जनप्रतिनिधि जनता के रुपए को ऐशो-आराम के लिए खर्च कर रहे हैं। इसके अलावा बाबूलाल मेघवाल की एक महिला पार्षद से बातचीत का ऑडियो वायरल होना भी सामने आ रहा है। ऐसे में वसुंधराराजे ने मजबूर होकर अमृता मेघवाल से त्यागपत्र ले लिया है।

शंकरसिंह राजपुरोहित से त्याग पत्र लेने के पीछे का कारण

वसुंधराराजे ने आहोर विधायक शंकरसिंह राजपुरोहित को भी त्याग पत्र लेकर विधायक से हटा दिया है। इसके अलावा भाजपा की सदस्यता से भी उन्हें हाथ धोना पड़ा है। सूत्रों की मानें तो राजपुरोहित को हटाने के पीछे मुख्य वजह आहोर विधानसभा क्षेत्र के राजपूत समाज की राजपुरोहित से नाराजगी सामने आ रही है। इसके अलावा आहोर में नर्मदा का पानी नहीं आने के कारण जनता की नाराजगी भी सामने आई है। ऐसे में शंकरसिंह राजपुरोहित को हटाकर आहोर विधानसभा क्षेत्र की जनता को दोबारा भाजपा से जोडऩे का प्रयास किया गया है।

प्रधानमंत्री हुए सांसद से नाराज, उनसे भी मांग सकते हैं इस्तिफा

सूत्रों के अनुसार सांसद देवजी पटेल से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब इस्तिफा मांग सकते हैं। दूसरा कार्यकाल होने के बावजूद सांसद का प्रदर्शन निराशाजनक होने के कारण प्रधानमंत्री अब बचे कार्यकाल में अपनी साख बचाने के लिए त्यागपत्र मांग सकते हैं। सांसद देवजी पटेल का सांचौर एरिया में विशेष ध्यान देने, रेल सुविधाओं का संचालन नहीं होने तथा पूरे कार्यकाल के दौरान जनता से दूरी बनाए रखने जैसे कारण देवजी पटेल के लिए खतरा बन सकता है।

नोट : बुरा ना मानो, होली है

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