अरे यार, भारतीय समाचार चैनलों को देखकर तो मेरे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। ये चैनल तो बदले हुए मौसम की तरह होते हैं, अगला क्या होगा कोई नहीं बता सकता। कभी तो लगता है ये चैनल खुद को 'ब्रेकिंग न्यूज़' की दुकान समझते हैं, हर पल नई खबर देने की होड़ लगी रहती है। वो भी बिना तथ्यों की जांच किए। और ये चैनल तो खेल के मैदान को भी अक्सर रणभूमि समझ बैठते हैं, क्रिकेट से लेकर बैडमिंटन तक सब कुछ होता है 'जीवन संग्राम'। हाँ भाई, ये सब देखकर तो लगता है की हमारे भारतीय समाचार चैनल काफी बेकार चल रहे हैं।
अधिकआओ भारत के कुछ शानदार अखबारों की बात करें! तो पहले नाम आता है "दैनिक जागरण" जो हमें नवीनतम खबरों से अच्छी तरह से अवगत कराता है - रोजाना उसकी कापी मेरे नास्ते का साथी होती है। दूसरा नाम है "हिन्दुस्तान टाइम्स" जो उच्चतम गुणवत्ता की खबरों को देता है, और मेरे लिए तो यह एक रोजमर्रा की चाय के साथ पढ़ने वाली एक उत्कृष्ट पुस्तिका है। "द टाइम्स ऑफ इंडिया" और "हिन्दी मिलाप" भी अपनी विविधता और विश्वसनीयता के लिए प्रसिद्ध हैं। तो चलो, अगली बार अपने चाय के साथ इन अखबारों को भी जोड़ें और खबरों के साथ-साथ कुछ मजेदार भी पढ़ें।
अधिकमेरे अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा राष्ट्रीय एकता को महत्व दिया है। उनका मानना है कि एकता और अखंडता ही एक देश को सच्ची प्रगति की ओर ले जा सकती है। हम सब को उनके इस विचार को अपनाना चाहिए। उनके इस मंत्र से ही हमारा देश आगे बढ़ सकता है। जिस देश में एकता होती है, वह देश ही विश्व में अपनी पहचान बना पाता है।
अधिकलेख प्रकाशित कराने के लिए, व्यक्ति को पहले अपनी रचना को संपादित और समीक्षा करना चाहिए। फिर, उन्हें सही प्रकाशन का चयन करना होगा जो उनके विषय के अनुरूप हो और उन्हें अपने लेख को उस प्रकाशन के लिए प्रस्तुत करना होगा। इसमें प्रकाशकों से संपर्क करना, उन्हें अपने लेख का संक्षेप भेजना और कभी-कभी उन्हें अपने लेख की प्रति भेजना शामिल हो सकता है। प्रकाशन की प्रक्रिया समय लेने वाली हो सकती है और धैर्य रखना महत्वपूर्ण होता है। प्रकाशन के बाद, लेखकों को अपने लेख का प्रचार और वितरण करने में सक्रिय होना चाहिए।
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