कपिल हत्याकांड : शातिर और दुष्साहसी है आरोपित, ऐसे देते रहे पुलिस को चकमा…
जालोर. जालोर के बहुचर्चित कपिल अग्रवाल हत्याकांड के आरोपित काफी शातिर और दुष्साहसी है। यही वजह है कि पहचान होने के बावजूद पुलिस को उन तक पहुंचने में पौना महीना लग गया। वे ना केवल पुलिस को चकमा देने की हर कोशिश करते रहे, बल्कि दुष्साहस करने से भी नहीं कतराते थे।
गौरतलब है कि पाड़ीव (सिरोही) निवासी कपिल अग्रवाल (27) पुत्र जितेंद्र अग्रवाल की १९ अगस्त को जालोर के झरणेश्वर रोड पर हत्या कर आरोपित फरार हो गए थे। इन लोगों को जैसे ही कपिल के जालोर में आने की सूचना लगी, इन्होंने तिलकद्वार के यहां बैठकर वारदात का पूरा प्लान बना डाला। इस दौरान जीतूसिंह पूरे समय तक कपिल की रैकी करता रहा। वो जहां भी जाता जीतूसिंह इसकी मोबाइल पर पूरी जानकारी रमेशपुरी व नरेश को देता था। योजनाबद्ध तरीके से इन लोगों ने ना केवल कपिल को बाइक पर बिठाया, बल्कि उसे जबरन झरणेश्वर रोड पर ले जाकर लूट के लिए उसे चाकू से गोद भी डाला। इससे कपिल की मौत हो गई।
टोल से लगाते थे फोन
खास बात यह है कि इन लोगों के पास वारदात के समय बाइक थी। हालांकि देवाराम व अमन इनके साथ इनोवो लेकर आए थे, लेकिन इनोवो इन्होंने घटनास्थल से काफी आगे रोक रखी थी। ताकि किसी को इसके बारे में पता ही नहीं चल सके। वारदात के बाद ये लोग इनोवो में बैठकर फरार हो गए। जबकि बाइक अमन ने अपने पास रख ली। मामला सुर्खियों में आया तो अमन बाइक को पहाड़पुरा में लावारिस छोड़कर काठाड़ी पहुंच गया और वहीं से ये लोग सांचौर, अहमदाबाद, सूरत होते हुए वापी पहुंच गए। चूंकि ये सभी लोग आपराधिक वारदातों में लिप्त रहे हैं और इन्हें पता था कि उन्हें सिम से टे्रस किया जा सकता है। इसलिए इन्होंने अपने मोबाइल को स्वीच ऑफ रखकर जितने भी कॉल किए वो सारे कॉल टोल प्लाजा पर लगे फोन बूथ से किए। ताकि उन्हें ट्रेस नहीं किया जा सके। इसके बाद ये लोग मैंगलोर होते हुए बैंगलूरु व हैदराबाद पहुंचे। इस दौरान भी इन्होंने टोल प्लाजा पर स्थित फोन बूथ ही कॉल किए।
बदलते रहे सिम, मोबाइल भी तोड़ा
ये लोग विशेष स्थितियों में ही अपने मोबाइल से कॉल करते थे। लेकिन इसके लिए उन्होंने कई सिम का अपने पास इंतजाम कर रखा था। जैसे ही ये लोग किसी को कॉल करते, उसके तुरंत बाद ये सिम को तोड़कर फेंक देते थे। इस तरह इन लोगों ने हैदराबाद पहुंचने तक चार-पांच सिम कार्ड तोड़कर फेंक दिए। बाद में जब इनको लगा कि मोबाइल के आईएमईआई नम्बर से ट्रेस किया जा सकता है तो इन्होंने मोबाइल फोन भी तोड़ कर फेंक दिया।
पुलिस हर कदम पर आगे रही
वारदात के बाद पुलिस ने रमेशपुरी व नरेश माली के फोन को ट्रेस करना चाहा, लेकिन जब पुलिस को लगा कि उनका फोन बंद आ रहा है और बार-बार नम्बर बदल रहे हैं तो पुलिस ने पुराना कॉल डिटेल निकालकर ज्यादा सम्पर्क वाले लोगों को टे्रस करना शुरू कर दिया। इससे पुलिस को उनके ठिकानों की तस्दीक करने में मदद मिली। इस दौरान पुलिस ने आरोपितों के सम्पर्क में रहने वाले राजू उर्फ प्रकाश तथा लक्ष्मणनाथ को टे्रस करती रही।
बार बाला से थे प्रकाश के प्रेम सम्बंध
आरोपितों को सहयोग करने वाला प्रकाश उर्फ राजू ने लूट के आभूषणों को बेचने में मदद की थी। कुछ आभूषण बेच कर वह अपनी प्रेमिका के साथ मैंगलोर पहुंचा था। जहां उसने रमेश व नरेश को बेचे गए माल के रुपए देने के साथ ही शेष बचे आभूषण लौटाए थे। इसके बाद वह खुद अपनी प्रेमिका के साथ बैंगलूरु आ गया था। बताया जाता है कि उसकी प्रेमिका खुद एक बार बाला है और पंजाब की रहने वाली है। रमेश व नरेश ने उसके सम्पर्क में आने के बाद अपनी अय्याशी के लिए उसे अन्य लड़कियों का इंतजाम करने को कहा था। जिस पर यह बार बाला अन्य बार बालाओं के नम्बर लेकर रमेश व नरेश को देती थी। इतना ही नहीं प्रकाश ने अपनी इस प्रेमिका पर लूटे गए आभूषण भी खूब उड़ाए। यहां तक कि उसने लूट के आभूषण में से सोने के मोतियों की माला भी अपनी इस प्रेमिका को पहनाई।
वारदात के बाद भी कायम था दुष्साहस
कपिल की हत्या के बाद भी इन लोगों को अपने किए पर कोई अफसोस नहीं था। रमेशपुरी व नरेश माली ने प्रकाश और लक्ष्मणनाथ को यहां तक कह दिया था कि वैसे भी उन लोगों को उम्र कैद होनी है। इसलिए अगर दो-चार को और मार दिया, तब भी उनकी सजा यही है। यहां तक कि पुलिस जब इन लोगों को दस्तयाब करने पहुंची तब भी इन लोगों ने पुलिस को यह कह कर रौब झाडऩे की कोशिश की, कि वे उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकते। वे कुछ भी कर सकते हैं। यहां कि नरेश माली को पुलिस टीम के हैदराबाद व बैंगलूरु में आने की सूचना मिलने पर उसने कांस्टेबल सुरेश को मारने का प्लान तक बना डाला। इसके लिए उसने चाकू भी खरीदा।
प्रवासी राजस्थानियों ने की मदद
पुलिस के अनुसार आरोपितों तक पहुंचने में जहां उनको काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। वहीं पंद्रह दिन के अभियान के दौरान प्रवासी राजस्थानियों ने उनकी काफी मदद भी की। एक प्रवासी व्यवसायी ने तो हैदराबाद से पूना तक पुलिस के लिए वाहन की व्यवस्था करने के साथ ही बॉडी गार्ड भी भेजे। ताकि आरोपित उन्हें किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचा सके। इसके अलावा भी प्रवासियों ने आरोपितों के सुराग देने में भी काफी मदद की।