43 साल बाद आई खुशहाली, जरा आप भी जानिए…
जालोर. डार्कजोन में शुमार जालोर जिले में बर्बाद होती खेती-किसानी ने फिर से उम्मीद जगानी शुरू कर दी। साल-दर-साल रसातल में जाते भूजल स्तर ने जहां जिलेवासियों को फ्लोराइडयुक्त पेयजल का दंश देना शुरू दिया। वहीं खेती से समृद्धी की उम्मीदें टूट सी गई थी। लेकिन इस बार इंद्र भगवान की मेहरबानी ने जिले के खासकर जालोर व आहोर उपखंड में किसानों के चेहरों पर खोया नूर लौटा दिया है। किसानों को उम्मीद है कि आगामी पांच साल तक खेती में पानी की किल्लत से राहत मिलेगी।
दस साल बाद जवाई नदी में पानी
गौरतलब है कि जवाई बांध के अब तक सात बार गेट खोले जा चुके हैं। इससे पहले वर्ष 2006 में अच्छी बारिश एवं बेड़ा बांध क्षतिग्रस्त होने के कारण जवाई बांध में अत्यधिक आवक के कारण नौ गेट खोले गए थे। इससे जालोर जिले में भी करीब सवा महीने तक पानी का बहाव रहा था। इसके बाद वर्तमान में तीन गेट खोले गए हैं। हालांकि मंगलवार को जवाई बांध के गेट नम्बर 4 व 10 को डेढ़ फीट से कम कर एक-एक फीट कर दिया। जबकि गेट नम्बर 2 को डेढ़ फीट रखा गया है। लेकिन इसे संयोग कहेंगे कि सुमेरपुर, शिवगंज, पोसालिया सहित आहोर व जालोर क्षेत्र में अच्छी बारिश के कारण नदी के पानी में भी बढ़ोतरी हुई है।
43 साल बाद ऐसी बारिश
बुजुर्गों की मानें तो वर्ष 1973 में अतिवृष्टि के चलते बाढ़ के हालात पैदा हुए थे। इसे स्थानीय भाषा में विक्रम संवत के कारण ‘तीसा” के नाम से जाना जाता है। इसके बाद कई बार जवाई बांध के गेट खोलने से जवाई नदी में पानी का बहाव हुआ, लेकिन क्षेत्र में समग्र रूप से अच्छी बारिश नहीं हुई। करीब ४३ साल बाद जालोर व आहोर उपखंड क्षेत्र में औसत से कई ज्यादा बारिश हुई है। इस बारिश से गहराई तक मिट्टी को नमी दी है। इसका फायदा भूजल को भी होगा। साथ ही आगामी पांच साल तक कृषि की दशा भी अच्छी रहने की उम्मीद है। वहीं जवाई नदी में पानी के बहाव से कुएं भी रिचार्ज होंगे।
बहुत अच्छा हुआ सबके लिये
Replyऐ, क्या बोलती तू, के दिल अभी भरा नहीं…
ReplyDats a great news… our farmers will be so happy nd can produce more cereals..
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