दो महीने पहले जालोर आया यह अधिकारी एक दलाल के हाथों की कठपुतली बन गया, जानिए कौन है यह अधिकारी
अर्थ न्यूज. जालोर
किसी भी सरकारी दफ्तर के अधिकारी को जनता के हित के हर कार्य को स्वविवेक से करना चाहिए, लेकिन जालोर जिला मुख्यालय पर नगर परिषद में इसका उलट देखने को मिल रहा है। आयुक्त के पद पर कार्यरत शिकेस कांकरिया इन दिनों दलालों के हाथों की कठपुतली बन गए हैं। एक पार्षद इसका प्रमुख दलाल बना हुआ है, जिसके बिना कहे आयुक्त कोई भी कार्य नहीं करता है, जबकि आयुक्त कांकरिया को जालोर आए महज दो महीने ही हुए हैं।
स्टे पर बैठे है आयुक्त
शिकेस कांकरिया को दो महीने पहले जालोर आयुक्त पद पर लगाया गया था। यहां पर कार्यरत सौरभ जिंदल को एपीओ किया गया था। इसके बाद कांकरिया कोर्ट से स्टे लेकर आ गए तथा आयुक्त का पदभार संभाल लिया। युवा आयुक्त कांकरिया को देखकर लोगों ने यह सोचा कि शहर में विकास कार्य करवाए जाएंगे तथा पक्ष-विपक्ष में नहीं पड़कर विकास कार्य करवाए जाएंगे, लेकिन आयुक्त कांकरिया ने आते ही एक पार्षद को अपना दलाल बना दिया। यह दलाल पार्षद हर तरह के कार्य करवाने में दलाली कर रहा है। आयुक्त कांकरिया भी इस दलाल के बिना कहे कोई कार्य नहीं करते हैं।
जैन लॉबी के पक्ष में कार्य कर रहे आयुक्त
आयुक्त कांकरिया जैन समुदाय के पक्ष में कार्य कर रहे हैं। जिस जैन बोर्डिंग में नियम विरुद्ध कार्य करवाए जाने को लेकर नोटिस जारी किया गया था उसी के उद्घाटन कार्य में शामिल हो रहे हैं। इतना ही नहीं जैन बोर्डिंग के सामने बने डिवाइडर को तोडऩे वालों के खिलाफ भी आयुक्त ने किसी तरह का कोई मामला दर्ज नहीं करवाया, जबकि सरकारी संपत्ति को तोड़ा गया था। इसके अलावा सूरजपोल के अंदर ओसवाल भवन को भी बिना अनुमति कार्य करने पर नोटिस देकर तत्कालीन आयुक्त की ओर से रुकवाया गया था, लेकिन कांकरिया ने आते ही यहां कार्य शुरू करवाया और अब कार्य पूरा होने के बाद ओसवाल भवन की ओर से मैरिज हॉल की अनुमति भी मांगी गई है।
आयुक्त व सभापति की इसलिए नहीं बन रही
आयुक्त कांकरिया व सभापति भंवरलाल माली की इसलिए नहीं बन रही कि आयुक्त कांकरिया ने एक पार्षद को अपना दलाल बना रखा है। यह दलाल हर कार्य करने के एवज में मोटी राशि लेकर आयुक्त तक पहुंचाता है। हाल ही में इस दलाल ने दो से तीन प्रोजेक्ट को पास करवाकर बड़ी राशि रिश्वत की लेकर आयुक्त कांकरिया तक पहुंचाई है। 30 पार्षदों में से महज 1 ही पार्षद के कहे अनुसार चलने के कारण आयुक्त व सभापति में नहीं बन रही है।