क्या आपने कभी सोचा है कि एक गीत, एक नाटक या एक अख़बार का लेख कितनी जल्दी लोगों को जोड़ देता है? एकता बनाना बड़े भाषणों का काम नहीं — छोटे और रोज़मर्रा के कामों से भी होता है। यहाँ कुछ व्यावहारिक, सीधा-सादा और असरदार तरीके दिए गए हैं जिनसे आप अपने आसपास के लोगों को जोड़ सकते हैं।
किसी भी जगह पर एक संगीत कार्यक्रम, कवि सम्मेलन या नाटक की छोटी प्रस्तुति लोगों को बैठाकर बात करने का मौका देता है। ये आयोजनों में मतभेद पीछे छूट जाते हैं क्योंकि फोकस कला पर होता है। आप छोटे-छोटे जिले या मोहल्ला स्तर पर साप्ताहिक सांस्कृतिक मिलन रख सकते हैं — एक शाम जहाँ लोकगीत, बच्चों की कहानियाँ और स्थानीय कलाकार हों। इससे अलग-अलग उम्र और पृष्ठभूमि के लोग एक-दूसरे को समझेंगे।
कार्यक्षालाएँ भी असरदार होती हैं। पेंटिंग वर्कशॉप, रंगमंच की रिहर्सल, या सामूहिक संगीत सत्र—ये सब पारंपरिक बाधाएँ तोड़ते हैं। किसी सरकारी या निजी जगह का छोटा हॉल मिल जाए तो महीने में एक बार ऐसा आयोजन करिए। लोगों को आमंत्रित करें कि वे अपनी एक छोटी कला साझा करें।
समाचार और लेख लोगों को जानकारी तो देते ही हैं, साथ ही चर्चाएँ भी शुरू करते हैं। अख़बार पढ़ने का क्लब बनाइये या ऑनलाइन चर्चा ग्रुप। वही लेख रात के क्रिकेट मैच की तरह बहस का विषय बनकर नहीं रहना चाहिए, बल्कि चर्चा का मंच बनना चाहिए जहाँ समाधान और समझ निकलकर आए।
स्थानीय स्रोतों को प्राथमिकता दीजिए — छोटे समाचार और स्थानीय कलाकारों की कवायद का समर्थन करें। जब मीडिया सकारात्मक घटनाओं और सहजीवन की कहानियों को दिखाता है, तो लोग अनुभव के जरिये एक-दूसरे के करीब आते हैं।
छोटी आदतें भी फर्क लाती हैं। सार्वजनिक कार्यक्रमों में सभी के लिए बैठने की व्यवस्था, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए सुरक्षित जगह, और बच्चे के लिए क्रियाएँ रखने से हर कोई शामिल महसूस करता है। आयोजन में भाषाई और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करें — बांगला, हिंदी, तमिल, आदि में छोटा अनुवाद या शॉर्ट इंट्रो देना बड़ा असर डालता है।
अंत में, एकता बनाने का मतलब बिना सवाल के सबको एक जैसे मान लेना नहीं है। ये स्वीकार करना है कि अलग होना भी ठीक है, पर फिर भी हम साथ रह कर काम कर सकते हैं। कला, संगीत और साहित्य उन सरल से पुलों में से हैं जो हमें जोड़ देते हैं। आज ही एक छोटा कदम उठाइए — किसी कार्यक्रम में जाना, किसी लेख पर चर्चा करना, या अपने मोहल्ले का एक सांस्कृतिक मिलन आयोजित करना। यही छोटे कदम बड़े बदलाव की शुरुआत होते हैं।
मेरे अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा राष्ट्रीय एकता को महत्व दिया है। उनका मानना है कि एकता और अखंडता ही एक देश को सच्ची प्रगति की ओर ले जा सकती है। हम सब को उनके इस विचार को अपनाना चाहिए। उनके इस मंत्र से ही हमारा देश आगे बढ़ सकता है। जिस देश में एकता होती है, वह देश ही विश्व में अपनी पहचान बना पाता है।
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