अर्थन्यूज नेटवर्क. जालोर
केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण परियोजना नदियां जोडऩे के तहत पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े जवाई बांध के पुनर्भरण को शामिल किया गया है। यह जालोर जिले के किसानों के लिए सबसे बड़ी राहत देने वाली खबर है। राजस्थान की विधानसभा में एक पूछे गए सवाल में सरकार की ओर से जवाब दिया गया कि केंद्र सरकार की नदियां जोडऩे की योजना में राजस्थान के तीन प्रोजेक्ट शामिल किए गए है, जिसमें जवाई बांध का पुनर्भरण भी है।
इसके तहत साबरमती बेसिन के अधिशेष जल से जवाई बांध का पुनर्भरण हो सकेगा। और जवाई बांध के भरने पर जालोर जिले भी इसका फायदा मिलेगा। राजस्थान की विधानसभा में दिए जवाब में सरकार ने बताया कि प्रदेश में नदियां जोडऩे के तीन महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। जिसमें चम्बल और उसकी सहायक ब्राह्मणी नदी के वर्षाकाल में अधिशेष जल को बीसलपुर बांध में डोलने की योजना, चम्बल की सहायक पार्वती और कालीसिंध के अधिशेष जल को धौलपुर तक पहुचाने की योजना और साबरमती बेसिन के अधिशेष जल से जवाई बांध का पुनर्भरण शामिल है। जवाब में बताया कि इसकी डीपीआर नवम्बर 2017 तक प्राप्त होगी। केंद्र सरकार की नदियों को जोडऩे की महत्वपूर्ण योजना का हिस्सा बनने से पुनर्भरण के प्रोजेक्ट को लेकर लोगों में उम्मीद प्रभावी हुई है।
प्रारूप पर शुरू हो चुका है काम
अधिकारियों का कहना है कि इसी माह एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित कर एक कम्पनी की ओर से तैयार प्रारूप पेश किया जाएगा। इस मामले में तकनीकी सलाहकार पूर्व चीफ इंजीनियर एस.एल. परमार का कहना है कि साबरमती बेसिन योजना की डीपीआर का काम चल रहा है। यह रिपोर्ट नवम्बर 2017 तक सरकार को सौंप दी जाएगी। अधिशेष जल से साबरमती को कोटड़ा तहसील में स्थित वाकल चतुर्थ से जवाई बांध का पुनर्भरण किया जाएगा। इसके लिए टनल, बांध और स्टोरेज आदि कहां बनेंगे। यह डीपीआर में मुख्यतया उल्लेखित होगा।